बुधवार, 21 जुलाई 2010

अन्तरिक्ष कबाड़ का पता लगाने के लिए लेज़र प्रणाली

अन्तरिक्ष में तैरता कबाड़ पृथ्वी की कक्षाओं में स्थापित उपग्रहों और अन्तरिक्ष यानों के लिए बराबर एक खतरे का सबब बना रहा है .अब एक आस्ट्रेलियाई कम्पनी ने एक ऐसी लेज़र प्रणाली तैयार कर ली है जो इस खतरे को मुल्तवी रख सकेगी ।
इलेक्ट्रिक ऑप्टिक सिस्टम्स ने जो लेज़र ट्रेकिंग सिस्टम तैयार किया है वह पृथ्वी से दागे गए एक सटीक निशाने बाज़ लेज़र बीम की मदद से १० सेंटीमीटर आकार तक छोटी देबरीज़ का पता लगाकर अन्तरिक्ष यात्रियों,अन्तरिक्ष यानों ,स्टेशनों और उपग्रहों से इनकी संभावित टक्कर को मुल्तवी रख सुरक्षा प्रदानकर सकेगी ।
यह काम पूरी शुद्धता के साथ संपन्न किया जाएगा ।
यह एक तरह से राडार प्रणाली का ही अति परिष्कृत रूप होगी जो उपग्रहों,काम में लिए जा चुके राकिटों द्वारा छोड़े गए नाकारा हो चुके कल पुर्जों पर निगाह रखेगी .
एक अनुमान के अनुसार २००,००० टुकड़े इस कबाड़ के एक सेंटीमीटर आकार से भी छोटें हैं .,५००,००० इससे बड़े हैं .यह अल्ट्रा हाई रफ़्तार से पृथ्वी की कक्षाओं में तैर रहें हैं .(३०,००० किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार होगी इन टुकड़ों की ,इतनी हाई -पर -वेलोसिटी इम्पेक्ट से बचने के लिए उपग्रहों ,इतर पिंडों को उसी कक्षा में रहना होना पड़ेगा .इनके आवेग संवेग ,मोमेंटम का परिमाण बेहद घातक हो सकता है किसी भी उपग्रह के लिए )
विविध आकारीय है यह अन्तरिक्ष कबाड़ ,इलेक्ट्रीक ऑप्टिक सिस्टम के चीफ एग्ज़िक्युतिव आफिसर के अनुसार एक छोर पर बस -साइज़ बिट्स हैं तो दूसरे छोर पर आधेमिलिमीटर से भी सूक्ष्मतर (फ्लेक्क ऑफ़ पैंट ).कैन -बेराज़ माउंट स्त्रोम्लो ओब्ज़र्वेत्री (वैध -शाला )परिसर में ही इसे तैयार कियागया है .इस एवज औस्ट्रेलियाई सरकार से ३५ लाख डॉलर का अनुदान मिला है .अलबत्ता इस लेज़र प्रणाली से अधिकतम फायदा लेने के लिए अभी एक ट्रेकिंग नेट वर्क चाहिए पृथ्वी के गिर्द रणनीतिक स्थानों पर .खासकर लोवर अर्थ ओर्बित के लिए यह एक दम से ज़रूरी है .अकेला स्टेशन सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई कुछ ख़ास नहीं कर पायेगा ।
ए नेट वर्क इज बेटर दें ए सिंगिल स्टेशन ऑफ़ यूओर ओंन बिकॉज़ -इन लोवर ओर्बिट्स थिंग्स आर नोट आलवेज़ कमिंग ओवर यूओर हेड व्हेन यु वांट डेम तू बी ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-ऑस्ट्रेलियाई लेज़र सिस्टम तू ट्रेक स्पेस जंक (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई २१ ,२०१० )

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