बेशक अब से कोई ४.५६७ अरब बरस पहले हमारा सौर मंडल बना था लेकिन पृथ्वी को निर्माण प्रक्रिया में बहुत समय लग गया था जो पूर्व के अनुमानों से बहुत ज्यादा ठहरता है .केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के भू -वेत्ताओंने पृथ्वी की पपड़ी (मेंतिल )और उल्काओं (मितीयोराइट्स) में मौजूद रासायनिक समस्थानिकों (केमिकल आइसोटोप्स )की परस्पर तुलना के बाद बतलाया है ,पृथ्वी ने अपना वर्तमान आकार ४.४६७ अरबबरस पूर्व ही जाकर हासिल किया था .
अतीत में लगाए गये अनुमानों के अनुसार पृथ्वी को पर्त -दर -पर्त गैस, धूल,इतर पदार्थ को गुरुत्व के तहत जुटाने में ,एक्रीशन में मात्र ३ करोड़ साल लगे .लेकिन वर्तमान अनुमानों के अनुसार यह अवधि १० करोड़ साल ठहरती है यानी तीन गुना से भी ज्यादा वक्त लगा एक्रीशन में आसपास से पदार्थ जुटाने में ।
बेशक अपने वर्तमान आकार का ६०फ़ीसद पृथ्वी ने अपेक्षया(अपेक्षतया ,रीलेतिवली ) जल्दी हासिल कर लिया था,लेकिन उसके बाद संभवतया एक्रीशन की रफ्तार कम हुई ,और वर्तमान स्वरूप को हासिल करते करते १० करोड़ वर्ष लग गए ।
एक्रीशन के दौरान अर्थस एम्ब्रियोज़ (भू -भूर्ण )परस्पर पास आकर जुड़ गए .ऐसा परस्पर टक्कर होने के बाद हुआ .संघात से जो गर्मी (ताप -ऊर्जा )पैदा हुई उससे ही पृथ्वी का क्रोड़ (कोर ,अंतर प्रदेश ) पिघल गया मेल्ट हो गया .तभी से यह कोर मोल्टन अवस्था में बनी हुई है .पपड़ी (मेंटिल) इसके बाहर का हिस्सा है ।जो बाद में बनी .
रासायनिक आइसोटोप्स ने जो पृथ्वी के मेंटिल और मितीयोराइट्स से जुटाए गएँ हैं एक बेहतरीन घड़ी की तरह ,जियोलोजिकल क्लोक की मानिंद काम किया है .
अलबत्ता कोर को बनने संपन्न होने में कुल कितना वक्त लगा यह सवाल आज भी एहम है .अनुत्तरित है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-अर्थ मच यंगर देन थाट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई १२ ,२०१० ,पृष्ठ १५, केपिटल एडिशन )
मंगलवार, 20 जुलाई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें