'ड्रिंकिंग टू मच मिल्क अप्स प्रोस्टेट कैंसर रिस्क (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जुलाई २७ ,२०१० ,पृष्ठ १५ )।
रिसर्चरों के मुताबिक़ दूध का ज्यादा सेवन प्रोस्टेट कैंसर के खतरे के वजन को बढा सकता है ।
प्रोस्टेट जर्नल में प्रकाशित एक कनाडाई रिसर्च के मुताबिक़ जो लोग रोजाना २०० एम् एल (२०० मिली -लीटर )के चार ग्लास दूध रोजाना पी जातें हैं उनके लिए प्रोस्टेट का जोखिम सामान्य से दो गुना ज्यादा बढ़ जाता है ।
बकौल रिसर्चरों के दूध में काव(काओ )हारमोन होतें हैं ,इनमे इंसुलिन लाइक ग्रोथ फेक्टर १ (आई जी ऍफ़ -वन ) भी शामिल है .
यही बढ़ोतरी को प्रेरित करने के अलावा प्रोस्टेट कैंसर को भी फीडकरते रहतें हैं (चुग्गा डालते रहतें हैं ,पनपातें हैं ).शायद अंडाशय कैंसर (ओवेरियन कैंसर )की भी थोड़ी बहुत वजह यही हारमोन बनतें हैं .
यूनिवर्सिटी कोलिज लन्दन के माहिरों के मुताबिक़ कुछ हज़ार साल पहले लोग दूध से इसीलिए परहेज़ रखते थे ,यह उदरीय शूल ,स्टमक अपसेट की वजह बनता था .ऐसा इसलिए था ,योरोपीय लोगों में एक जीन नदारद था जो एंजाइम लेक्टेज़ बनाने में सहायक रहता है .ध्यान रहे यही किण्वक दूध में मौजूद लेक्टोज़(मिल्क सुगर )को सरलीकृत रूपों में तोड़ने में सहायक रहता है .लेक्टोज़ ब्रेक्स डाउन दी मिल्क सुगर लेक्टोज़ ।
हार्वर्ड स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ ,न्यूट्रीशन के मुखिया वाल्टर विल्लेट कहतें हैं पूर्व के अध्धय्यनों में भी हाई -मिल्क इनटेक और मेटास्तेतिकप्रोस्टेट कैंसर के बीच अंतर -संबंधों की पुष्टि हुई है .बात साफ़ है :दूध का ज्यादा सेवन खून में आई जी ऍफ़ -१ ग्रोथ प्रोमोटिंग हारमोन के स्तर को बढाता है .नतीजा हो सकता है प्रोस्टेट कैंसर का अतिरिक्त जोखिम .
विशेष कथन :बट नो डेंजर फ्रॉम कोफी :दक्षिण कोरियाई नेशनल कैंसर सेंटर के माहिरों ने पूर्व के १२ रिसर्चों की एक मेटा -स्टडी में बतलाया है ,कोफी पीने में ऐसा कोई ख़तरा नहीं है .मेन कैन एन्जॉय ए कप ऑफ़ कोफी विद -आउट- वरींग (वरी -इंग )अबाउट प्रोस्टेट कैंसर .कोफी दज नोट रेज़ दी रिस्क ऑफ़ कैंसर ऑफ़ दी ग्लैंड .(रायटर्स )
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