२००२ में इसकी स्थापना डेनमार्क में की गई .इस समय ब्यूटीफुल फोरम के १९० देश सदस्य हैं .इस तक पहुंचाती है आपको वेबसाईट ,"ब्यूटीफुल .कोम "इसकी सदस्यता प्राप्त करने के लिए इच्छुक व्यक्ति को पहले अपना एक फटोग्रेफ सदस्यों की स्वीकृति हेतु भेजना पड़ता है .खूबसूरत लोग ही आपकी खूबसूरती का आकलन करके इत्तला देतें हैं आपको .६०,००० लोग इस खूबसूरत समुदाय के सदस्य हैं ।
अलबत्ता अट्रेक्तिव स्पर्म तथा अट्रेक्तिव एग डोनर्स के लिए अब इसके रास्ते उन लोगों के लिए भी खुल गएँ हैं जो खुद तो सुन्दर नहीं हैं लेकिन खूबसूरत संतान चाहतें हैं .फोरम का मकसद ही खूबसूरती को आगे ले जाना है खूबसूरत संतानों की मार्फ़त ।
खूबसूरत लोग दान कर सकतें हैं अपना स्पर्म ,अपने एग्स उन लोगों को जो स्वयं आकर्षक व्यक्तित्व के धनी ना सही खूबसूरत संतानें चाहतें हैं ।
लेकिन दक्षिणी केलिफोर्निया विश्व -विद्यालय के प्रजनन माहिर जो रिप्रोदाक्तिव मेडिसन में गत २५ सालों से दखल रखतें हैं कहतें हैं ,इस सब के बावजूद खूब सूरत बच्चे ही पैदा हों यह लाजमी नहीं है ।
याद रहे पूर्व में इसी फोरम ने ५००० खूबसूरत लोगों की सदस्यता समाप्त कर दी थी केवल इस बिना पर ,वह ज़रा ओवरवेट हो गए थे .आप जानतें हैं "नार्सिसस "को भी आत्म रति ,अपने ही अक्श पर रीझने ,मर मिटने का भूत सवार हुआ था .तभी से नारसीसिज्म (आत्म रति ,आत्म शलाघा खुद पर ही रीझने के लिए प्रयुक्त होने लगा ).नर्गिश का फूल अपने अस्तित्व को हज़ारों हज़ार साल कोसता है कहता हुआ -"हज़ारों साल रोती है नर्गिश अपनी बे -नूरी पर ,तब चमन मेंकहीं पैदा होता है एक दीदावर .
सन्दर्भ -सामिग्री :-एन्स्युरिंग जेन- नेक्स्ट इज एस ब्यूटीफुल एज दी प्रिजेंट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जुलाई २९.२०१० )
शुक्रवार, 30 जुलाई 2010
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