दी अदर हार्ट बर्न ,यट एनादर रीजन टू गिव अप जंक फ़ूड .व्हाट यु थिंक इज हार्ट बर्न कैन लीड टू ए फार मोर सिरिअस कंडीशन ,जी ई आर डी (यू /हेल्थ टिप्स /मुंबई मिरर /जुलाई २३ ,२०१० /पृष्ठ ३२ ).
खाने पकाने के रसिया अकसर तलाभुना चटपटा मसालेदार खाना, जंक फ़ूड खा तो लेतें हैं ऊपर से जाम के बाद एक औरफिर और जाम,जम कर शराब भी पी लेतें हैं .वीक एंड जो ठहरा ,लेकिन इसके बाद मिचली से लेकर ,तेजाबी पाना का बारहा मुह में भर भर आना ,खाने का उगलना सिर्फ तेज़ाब बनना कह कर नहीं टाला जा सकता .कभी कभार यह अपच के कारण छाती में होने वाली जलन से (अम्ल शूल )से आगे की बहुत ही परेशानी में डालने वाली सिरिअस मेडिकल कंडीशन "गैस्ट्रो -ईसाफेजिअल री -फ्लक्स डिजीज या एसिड री -फ्लक्स होती है ।
उदर आहार -नालीय - रीफ्लक्स डिजीज क्या है ?
यह एक गंभीर किस्म का अपच सम्बन्धी विकार है ,दाइजेस्तिव दिस -ऑर्डर है .हम जो भी कुछ खातें हैं वह आहार नाल केज़रिये ही उदर में पहुँच- ता है.यहाँ से यह "पक्वाशय "ड्यू -ओ -डीनम "या ग्रहणी ,छोटी आंत का अगला भाग ,में पहुंचता है .आहार नाल और उदर के बीच एक द्वार या जंक्शन होता है "लोवर ईसाजेजिअल स्फीन्क्टर "यानी आहार नालीय निचली अवरोधिनी .अपच सम्बन्धी इस बड़ी गडबडी में (गैस्ट्रो --ईसाफेजिअल री -फ्लक्स -डिजीज )में यह अवरोधिनी ढीली पड़ जाती है,लूज़ हो जाती है ,इस गोलाकार मांश पेशी के लूज़ हो जाने पर बंद छेद खुल जाता है .नतीज़तन आहार नाल में होकर खाया पीया वापस मुख में लौट आता है .तेजाबी पानी उगला हुआ गला सना भोजन .हाइड्रो क्लोरिक एसिड और एंजाइम्स (पेपसिन ),पित्त (बाइल ) से युक्त होता है अकसर यह उगाल .इनमे से हरेक आहार नाल को नुक्सान पहुंचाता है ।
ला इलाज़ ही बना रहता है यह अपच रोग .आहार नाल की इंजरी के ठीक हो जाने के बाद भी यह स्थिति बारहा लौट आती है ।
होता क्यों है यह अपच रोग ?
बहुत मुश्किल है इसे ठीक ठीक बताना समझ पाना .अलबत्ता वजहें अनेक हो सकतीं हैं ।
(१)मिचली की पुनरावृत्ति (रिकरिंग वोमिटिंग )(२)मोटापे से पैदा अतिरिक्त उदरीय दवाब (इन्क्रीज्द एब्डोमिनल प्रेशर ड्यू टू ओबेसिटी )(३)हिअतल हर्निया (४)धूम्रपान (५)रिदयुज्द लोवर ईसफ़ेजिअल स्फिन्क्टर प्रेशर ।
लेकिन खान पान की गलत आदतें जंक फूड्स को बरी नहीं किया जा सकता .रिफ्लक्स सिम्टम्स को बद से बदतर बना देतें हैं साइट्रस फ्रूट्स का बेहिसाब सेवन ,चोकलेट्स ,केफीन ,शराब ,कोलाज़ ,रेड मीट,तला भुना चिकनाई लदा खाद्य पदार्थ ,लहसुन -प्याज ,मसालेदार टमाटर युक्त सालसा ,पिज्जा ,सौस ,स्पघेत्ते ।
शुरूआती लक्षण क्या हैं इस अपच रोग के ?
अम्ल शूल इसका आरंभिक चरण हो सकता है .इससे बचाव का एक ही कारगर तरिका है .खुराख में एल्केलाइन खाद्यों को जगह दीजिये .एसिड और एल्केलाइन का संतुलन ज़रूरी है ।
एसिडिक फूड्स एक नजर में ?
ब्रेड (ब्राउन हो चाहें वाईट ,या फिर मल्टी- ग्रेन),नूड्युल्स ,राग़ी,नाचनी ,पोहा ,रवा ,राव ,तुवर दाल ,सोया बीन्स ,बटर,पालक ,केंड- फूड्स ,ड्राई कोकोनट ,टी ,कोफी ,एल्कोहल ,कन्फेक्शनरी ,सुगर आदि अम्लीय प्रकृति लियें हैं ।
एल्केलाइन फूड्स ?
आलू (पोटेटो ),फ्रेश फिग्स ,अंजीर ,अस्परा- गस ,लीक ,मूली (रेडिश )सेलेरी ,व्हीट- ग्रास ,खीरा (ककुमबुर ) ,ग्रेप ,अंगूर ,ग्रेप फ्रूट ,ओनियन (प्याज ),अर्तिचोके .
बचाव में ही बचाव है ?
अपनी जीवन शैली बदलिए .खाना खाने के बाद टाईट कपडे ,टाईट बेल्ट मत पहनिए .इससे आंतें दवाब में आयेंगी .खाने के बाद हाड तोड़ मेहनत मत करिए .सिगरेट शराब मुल्तवी रखिये .खाली पेट ज्यादा देर तक मत रहिये .अस्वास्थय्कर नाश्ते से बचिए ( एवोइड अन्हेल्दी स्नाक्क्स आदि ).रात को हल्का भोजन (सुपाच्य )लीजिये .कद काठी के अनुरूप वजन बनाए रखिये .धीरे धीरे चबा चबा कर खाइए .खुशनुमा तनावरहित माहौल में खाइए .खाने का समय सुनिश्चित कीजिये .वक्त बे -वक्त खाना ठीक नहीं है .जल्बाजी कैसी खाने में ,तसल्ली से खाइए ."हाई -पी एच एसिड मान "वाले खाद्य ना खाएं .पर्याप्त पानी पीजिये दिन भर में (२-३ लिटर तक ).खाने के दौरान और ४५ मिनिट बाद तक अपराईट-पोजीशन में रहिये .
शुक्रवार, 23 जुलाई 2010
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