ब्रितानी साइंसदानों का दृढ विचार है ,ख़ास दिमागी रिती(पेटर्न का ख़ास तरीका ) ब्रेन एक्टिविटीका विशिष्ठ अंदाज़ समय रहते इत्तला दे सकता है नौनिहालों और युवाओं में आगे चलकर "शिजोफ्रेनिया "जैसे दिवास्तेतिंग मानसिक विकारों की चपेट में आ जाने की ।
ब्रेन एक्टिविटी "साइन "और "मार्कर्स "का पता देती है .इन्ही की मदद से मानसिक विकारों की शिनाख्त हो सकती है .यूं मानसिक विकार एक जैव -रासायनिक असंतुलन का नतीज़ा होतें हैं .ब्रेन केमिस्ट्री के तहत कुछ ऐसे जैव रसायन बनतें हैं जो वहां एक ट्रांस मीटर का काम करतें हैं .इसीलिए इन्हें "न्यूरो -ट्रांस -मीटर्स "भी कहा जाता है ,बायो -केमिकल्स भी ।
नोत्तिन्ग्हम यूनिवर्सिटी के साइंसदानों ने अपनी स्टडी के नतीजे फोरम फॉर योरोपियन न्यूरो -साइंस ,एम्स्टर -दम के समक्ष रखें हैं .ऐसा समझा जाता है अब लक्षणों के प्रकट होने से पूर्व ही मानसिक रोगों के बारे में जान समझ लिया जाएगा .न्यूरो -कोगनिटिव ब्रेन मार्कर्स रोग के खतरे का वजन बतला देंगें .हो सकता है तब इस खतरे के वजन को कम भी किया जा सके .बैटर फंक्शन की उम्मीद भी रखी जा सकती है ।
शुरू में अच्छा प्रबंधन और पोजिटिव रवैया रोग को उग्र होने से बचाए रहेगा .
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