"की -होल" सर्जरी या आर्थस्कोपिक शल्य क्या है ?
इसमें पहले एंडोस्कोप (अंतर -दर्शी ) से मुआना किया जाता है जायजा लिया जाता जोड़ के अन्दर हुई तोड़ फोड़ ,घिस -पिट या फिर किसी अन्य मेडिकल कंडीशन का .दूसरे चरण में इलाज़ भी किया जाता है .यह एक मिनिमल इनवेसिव प्रोसीजर है यानी नाम मात्र को ही एक छोटा सा चीरा और बस .इसीलिए इसे "की -होल सर्जरी "भी कह दिया जाता है ।
जोड़ को खोलने के स्थान पर बस प्रभावित जोड़ पर बस दो -तीन चीरे (ता -इनी इन्सिज़ंस )लगाने पडतें हैं .बस एक एन -दोस्कोप अन्दर का बाकी हाल जान लेता है ।
इन्स्पेक्सन ऑफ़ दी इनसाइड ऑफ़ ए जोइंट ऑफ़ दी बॉडी यूजिंग एन एन -दोस्कोप(अंतर -दर्शी ) इज काल्ड "आर्थोस्कोपी "।
इस शल्य विधि में क्योंकि सोफ्ट तिस्युज़ को कमसे कम नुकसानी और ट्रौमा झेलना पड़ता है ,इसीलिए अस्पताल में स्टे कम ,कामयाबी की दर ज्यादा रहती है ."नी "और शोल्डर्स (काँधें के विकारों की दुरुती के लिए इसे आजमाया जाता है ."ए सी एल "रिकंस्त्रक्सन ,मिनिस्कस एंड कोंद्रल सर्जरीज इसमें शामिल है .कोंद्रल का सम्बन्ध कार्तिलेज़िज़ (उपास्थियों )से है .
मंगलवार, 6 जुलाई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें