मंगलवार, 6 जुलाई 2010

ओवर ईटिंग से बचाव की कुंजी आई हाथ में ....

भूख प्यास ,सुख दुःख ,सेक्स सभी का नियंता और नियामक हमारा दिमाग ही है .भूख लगने पर सभी खातें हैं लेकिन मौज -मौज में और मौज के लिए खाना एक दम अलग बात है .यही तो ओवर -ईटिंग है .गड़बड़ यह है जब हम कोई चीज़ सिर्फ मौज में आकर खातें हैं ,पसंदीदाऔर बिना भूख केखातें हैं,तब दिमाग के कुछ ख़ास हिस्से रोशन हो जातें हैं .यही से ललक और क्रेविंग की शुरुआत होती है ।
मानचेस्टर यूनिवर्सिटी के साइंस दानों ने एक " भूख को ही दबाने वाले ,हंगर सप्रेसेंत रसायन ,हेमो -प्रेसिंन "का पता लगा लिया है ।
हो सकता है कल को कोई "डा -ईट दर्ग" भी तैयार कर ली जाए ।जो दिमाग को अधिकाधिक "हेमो -प्रेसिंन "पैदा करने के लिए उकसाए .हो सकता है ब्रेन सर्कित्री को समझ कर ,जानकार ,कैसे दिमाग एपेताईट को रेग्युलेट करता है ,भूख का विनियमन करता है ,कल मोटापे की भी काट ,कोई कारगर दवा ,पुख्ता इलाज़ निकल आये ।
हेमो -प्रेसिंन हमारे शरीर तंत्र में कुदरती तौर पर भी पाया जाता है .यह दिमाग के उसी हिस्से को असरग्रस्त बनाता है जो मौजपन में खाने के दौरान लाईट -अप करता है ,रोशन हो जाता है ।
साइंस दानों ने अपने प्रयोग में जब चूहों को "हेमो -प्रेसिंन "फीड किया तब उनकी भूख ज़रूर घट गई लेकिन कोई अवांछित असर दिखलाई नहीं दिया ,कोई पार्श्व प्रभाव नहीं देखने में आया ।
लेकिन एक दूसरे आइदेंतिकल माँ -इस ग्रुप को इसी रसायन की सिंथेटिक किस्म परोसी गई .भूख तो इनकी भी कम ज़रूर हुई लकिन साइड -इफेक्ट्स के रूप में अतिशय "ग्रूमिंग "और स्क्रेचिंग इनमे दिखलाई दी ।
हो सकता है ब्रेन सर्किट -री को मनमाने तौर पर बदल कर मैनीप्युलेट कर "हेमो -प्रेसिं "का स्तेमाल "एल्कोहल "और ड्रग एब्यूज के लिए भी होने लगे .उम्मीद पे दुनिया कायम है ।
सन्दर्भ _सामिग्री :-"की "तू ओवर -ईटिंग फा -उन्द ,में लीड तू न्यू "डा -ईट ड्रग "(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई ६ ,२०१० )

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