रविवार, 4 जुलाई 2010

मिथकीय -चरित्र "ऋषय -श्रिंग "(श्रृंगी -ऋषि)को किस वैशिस्ठय के लिए जाना जाता है ...

विभंडक के पुत्र श्रृंगी ऋषी को सृष्टि -करता ब्रह्मा का वंशज समझा जाता है .पुत्रेस्ठी एवं पार्जणय यग्य कराने में आपको महारत हासिल थी .कहतें हैं ,अंग देश (बिहार )के साम्राज्य को सूखे की मार से बचाने केलिए आपने वर्षा -देव (इंद्र )का आवाहन कर पार्जणय यग्य संपन्न कर उबारा .आज यही काम सीड क्रिस्टल्स (क्लाउड -सीडिंग के तहत सिलवर आयोडाइड काछिडकाव वायुयानों की मार्फ़त विक्षोभ मंडल (त्रोपो -स्फीयर )में ऊपर जाकर किया जाता है ।
कथा है ऋषी -विश्वामित्र के आग्रह मूलक निमंत्रण पर आपने राजा दशरथ को पुत्र प्राप्ति हेतु "पुत्रेस्ठी यग्य "संपन्न करवाया जिसके फलस्वरूप चार पुत्र रत्न राजा को प्राप्त हुए .राम ,लक्ष्मण ,भरत ,शत्रुघ्न ।
जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए आपने वर्तमान छत्तीस गढ़ के सिहोबा से महानंदी नदी तक पैदल यात्रा की ।
वाटर हार्वेस्टिंग की बात तो वर्तमान दौर में अब चली है ."आप जल ही जीवन है "बिन पानी सब सून के मर्म से वाकिफ थे .
आपकी स्मृति को बनाए रखने के लिए आपके नाम से ६४ श्रृंगी ऋषी देवालय और आश्रम बनवाये गए .

कोई टिप्पणी नहीं: