रविवार, 4 जुलाई 2010

बांझपन ,पोलिसिस्तिक -ओवेरियन -सिंड्रोम आदि में वृद्धि क्यों ....

वाई आर एन्दोमेत्रिओसिस ,पोलिसिस्तिक ओवेरियन सिंड्रोम एंड इन्फर्तिलिती ऑन दी राइज़ ?आंसर्स डॉ .इंदिरा हिंदुजा ,कंसल्टेंट गायने कोलोजिस्त ,जसलोक हॉस्पिटल ,मुंबई (प्रिवेंसन /जुलाई अंक पृष्ठ ११ )।
रोजमर्रा की ज़िंदगी में पसरा दवाब (स्ट्रेस )एक जगह बैठे बैठे काम करते रहने ,हुक्म चलाते रहने की आदत और भ्रष्टखान पान इसके लिए कसूरवार हैं ।
स्ट्रेस तो हमारे रोग प्रति रोधी कुदरती तंत्र (इम्म्युंन सिस्टम )को ही कमज़ोर और बे -असर करता है ,संतृप्त वसाओं से लदा पैकेज्ड खाद्य (केलोरी डेंस सेच्युरेतिद फेट्स से तैयार किया गया खाद्य )तथा पेस्टी-साइड्स का बहु विध खाद्य सामिग्री में रिसाव "एन्दोमेत्रिओसिस "की मुख्य वजह बन रहा है ।
कसरत के अभाव में मुटियाते चले जाना चिकनाई सने खाद्य से पैदा इंसुलिन रेजिस्टेंस ,खुराख में सिम्पिल कार्बोहाइद्रेत्स(चीनी ,फ्रक्तोज़ आदि )का डेरा "पोलिसिस्तिक ओवेरियन डिसीज़ "के खतरे को बढाता है ।
इन सभी हालातों से आप बढतें हैं बांझपन की ओर.जोखिम बढ़ता जाता है .मोटापे के साथ ।
हमारे हवा पानी मिटटी का गंधाते चले जाना ,पर्यावरण प्रदूषण भी इसकी वजह बन सकता है ?
बेशक पर्यावरण में मौजूद ज़हर ,विषाक्त पदार्थ (टोक्सिंस ) शुक्राणु के बननेमें बाधा डाल सकतें हैं .नुक्सान पहुंचा सकतें हैं स्पर्म प्रोडक्सन को .शरीर में फ्री -रेडिकल्स मुक्त कर एन्दोमेत्रिओसिस की वजह भी बन सकतें हैं ,अंतिम परिणति इस सबकी बांझपन हो सकती है .ख़तरा तो है ही ।
बचाव ?
अपनी भ्रष्ट खुराख को सुधारिए .फल ओर तरकारी ढेर सी ,फेट से परहेजी ,सिम्पिल कार्बोहाइद्रेत्स (तमाम सफ़ेद चीज़ों में मैदा ,चावल ,चीनी आदि )से दूरी बनाये रखिये ।
अपना वजन काबू में रखने के लिए हरकत में रहिये .व्यायाम कैसा भी ज़रूरी है .ऐसा करने से तनाव कम होगा .तनाव के तनोबे को ही तो तार तार करना है .

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