कुछ अनाजों यथा,बार्ले (गेंहूं ,जौं,जै,राई ठन्डे मुल्कों में पैदा होने वाला एक पादप जिसके दाने से आहार का आटा,व्हिस्की ,शराब आदि बनातेंहैं ।)राई ,ओट्स आदि में एक लसलसा पदार्थ लासा यानी ग्लूटेन पाया जाता है जिसका आटा बन जाता है ।
इस बीमारी में लासा हजम नहीं होता क्योंकि असर ग्रस्त व्यक्ति की छोटी आंत की दीवार ही क्षति ग्रस्त हो जाती है .ऐसे में पोषक तत्वों की ज़ज्बी नहीं हो पाती है ।
लेकिन रोग की शुरुआत में ही ,आरंभिक चरण में ही इसे रोका जा सकता है .रिवार्सिबिल है यह मेडिकल कंडीशन .बस ग्लूटेन का आहार में सेवन बंद कर दीजिये ।
"दी क्युओर लाईज़ इन दी काज "
लासा रहित तमाम तरह के आहार (ग्लूटेन फ्री ओप्संस ) बाज़ार में उपलब्ध हैं ,ज़रुरत स्वास्थ्य सचेत होने रहने की है .स्वस्थ जीवन शैली अपनाइए इससे परहेजी रख कर ।
सलिआक सोसायटी दिल्ली ने इसी मंशा से गत २२ मई को फिल्म "काइट्स"का प्रदर्शन किया था ।
दूर -ध्वनी संपर्क (सलिआक सोसायटी ,दिल्ली ):-०११ -४१६२ ७००७
बुधवार, 7 जुलाई 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
आपके सारे पोस्ट बहुत ही उपयोगी और ज्ञानवर्धक हैं। हिन्दी जगत के लिये ऐसी जानकारियाँ बहुत उपयोगी हैं।
एक टिप्पणी भेजें