एस्मेतिक -ब्रोंकाइटिस चिकित्सा शब्दावली में एक नहीं अनेक दिसोर्द्र्स ,विकारों के लिए प्रयुक्त होता है .वायरल संक्रमण के बाद "कफ "और व्हीज़िंग के लक्षण नौनिहालों में प्रकट हो सकतें हैं .यदि यह लक्षण (समस्या )सिर्फ एक पखवाड़े तक ही रहतें है तब अधिकतम संभावना संक्रमण (इन्फेक्सन )की रहती है ,एस्मा (दमा )की नहीं .अब यह आपको देखना समझना है क्या मौसम बदल के साथ बारहा यही लक्षण बालक में नजर आतें हैं ?और ज़ारी भी रहतें हैं पन्दरह दिन के पार तब संभावना दमे की ज्यादा है ।
बचाव :बच्चे को धुल (किसी भी किस्म की दस्तपोलेंन (पराग कण ,हवा में तैरते फूलों से झरते कण ),धुंआ ,पोल्युतेंट्स (हवा में मौजूद प्रदूषक ,सोलिड पार्टिकुलेट सस्पेंदिद कण ),सी एन जी चालित वाहनों से रिश्ते अति सूक्ष्म कण ,फ्युम्स ,एनीमल फर्स ,देंद्र्फ्स ,माँ -इट्स आदि से बचाए रहना चाहिए .ट्रिगर तो आपको ही पहचानना होगा .वैसे टेम्प्रेचर भी एक असरकारी एल्र्जन है ,एलर्जी पैदा करने वाला कारक है .बेड रूम्स को ब्राईट और रोशन रखिये .कारपेट्स आदि के स्तेमाल को मुल्तवी रखिये .स्ट्रोंग -परफ्यूम्स ,इत्रफुलेल आदि से बचिए .दिओद्रेन्त्स से भी ,रूम रिफ्रेशंर्स आदि से भी .सावधानी में ही बचाव है .मोस्कीटो-कोइल्स भी नहीं .देखना सिर्फ आपको ही है किस पदार्थ के एक्सपोज़र (प्रभावन से )दमा भड़कता है ।क्या पेट्स से ?किसी खाद्य से ,सुगंध से ?
संतुलित और पुष्टिकर खुराख का अपना महत्त्व है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-यु आस्क -अवर एक्सपर्ट्स आंसर्स (प्रिवेंसन ,हेल्थ ,मैगजीन ,जुलाई अंक ,पृष्ठ ०६ )
डॉ रणदीप गुलेरिया ,प्रोफ़ेसर ऑफ़ मेडिसन ,आल इंडिया इन्स्तित्युत ऑफ़ मेडिकल साइंसिज़ एंड रिसर्च -आंसर्स
रविवार, 4 जुलाई 2010
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