शरीर के जोड़ उम्र के साथ घिस्पिट जातें हैं ,खराब होकर बे -तरह दर्द करने लगतें हैं .आंगिक संचालन मुसीबत बनने लगता है ,तब एक हीउपाय है, खराब जोड़ को निकाल कर एक कृत्रिम जोड़ शल्य द्वारा लगा दिया जाए .ताकि अंग बिना दर्द किये सुचारू ढंग से कामकरने लगें ।
अब सफलता पूर्वक घुटने ,काँधे (कंधे ,शोल्डर्स ),एल्बोज़ (कुहनी ),नितम्ब (हिप्स )आदि रिप्लेस कर दिए जातें हैं सर्जरी के द्वारा ।
कृत्रिम जोड़ों को "प्रोस्थेसिस "कहा जाता है .यह धातु ,प्लास्टिक , आदि को मिलाकर या फिर सिरेमिक्स से भी तैयार किये जातें हैं ।
इसके लिए सावधानी पूर्वक सर्जरी प्लान की जाती है ताकि प्रत्यापित अंग वैसे ही काम कर सके जैसे कुदरती अंग करता रहा है .यानी विद एज नोर्मल "काई -नेमेतिक्स" एज पोसिबिल ।
"काई -नेमेतिक्स ":दी ब्रांच ऑफ़ बायो -मिकेनिक्स कंसर्न्ड विद दिस्क्रिप्सन ऑफ़ दी मूवमेंट्स ऑफ़ सेग्मेंट्स ऑफ़ दी बॉडी विदाउट रिगार्ड तू दी फोर्सिज़ देत कास्ज्द दी मूवमेंट तू आकर ।
आर्थ्रो -काई -नेमेतिक्स :दिस्क्रिप्सन ऑफ़ दी मूवमेंट ऑफ़ दी बोन सर्फेसिज़ विदि -इन ए जोइंट वेंन ए बोन मूव्ज़ थ्रू ए रेंज ऑफ़ मोसन .
सोमवार, 5 जुलाई 2010
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1 टिप्पणी:
जानकारी के लिए धन्यवाद .. आजकल यह बीमारी कुछ अधिक ही हो रही है !!
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