रविवार, 11 जुलाई 2010

समय पूर्व प्रसव से बचाव के लिए चोकलेट्स ....

याले यूनिवर्सिटी (अमरीका )के रिसर्चरों ने गर्भावस्था के दौरान तकरीबन २५०० गर्भ -वती महिलाओं की खुराख का अध्धय्यन विश्लेषण कर अपने एक ताज़ा अध्धय्यन में बतलाया है ,जो महिलाएं गर्भावस्था की अवधि (सामान्य अवधि ४० सप्ताह )के दौरान नियमित तौर पर चोक्लेट्स ,चोकलेट्स स्नेक्स ,हाट चोकलेट -ड्रिंक्स का स्तेमाल करतींहैं उनके लिए समय -पूर्व प्रसव (प्रिमेच्युओर बर्थ )के खतरे का वजन घटकर आधा रह जाता है ।
गर्भावस्था की सामान्य अवधि ४० सप्ताह है .कई मर्तबा ३६ सप्ताह से भीबहुत पहले प्रसव हो जाता है .ऐसे बच्चे "प्रिमीज़ "कहलातें हैं ।
प्री -एक्लाम्प्सिया समय पूर्व प्रसव की मुख्य वजह बनता है .यह तकरीबन ६० लाख बर्थस को असर ग्रस्त करता है ।
उच्च रक्त चाप (हाई -पर -टेंशन ),इसका ख़ास लक्षण है .कन्वाल्संस ,ब्लड क्लाट्स ,लीवर डेमेज ,किडनी फेलियोर ,जच्चा -बच्चा दोनों में से एक की ,कभी कभार दोनों की ही मृत्यु हो जाती है "प्री -एक्लाम्प्सिया "से ।
पता चला जो गर्भ -वती महिलायें इस पूरी अवधि में नियमित हफ्तावार चोक्लेट्स की तीन या और भी ज्यादा सर्विंग्स ले रहीं थीं ,उनके लिए प्री -एक्लाम्प्सिया का जोखिम ५० फीसद या और भी ज्यादा घट गया ।
"अनाल्स ऑफ़ एपिदेमियोलोजी "जर्नल में इस अध्धय्यन के नतीजे छपें हैं ।
गौर तलब है "गर्भावस्था की पहली और तीसरी तिमाही में चोकलेट का नियमित सेवन इतना ही कारगर पाया गया ।
चोक्लेट्स का मोडरेशन (हिसाब से सेवन )गत बरस स्वीडन के साइंसदानों द्वारा संपन्न एक अध्धय्यन में हार्ट अटक से बच के निकल जाने में मौत के मुह में जाने से बचाव में ७० फीसद कारगर पाया गया ।
२००८ में जोर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के साइंसदानों ने चोकलेट में एक ऐसे रसायन का पता बताया जो बोवेल कैंसर का रास्ता रोकने में ,इसके फैलाव को बीच में ही रोक देने में कारगर पाया गया ।
इसके मानव -निर्मित रूप को ट्यूमर ग्रोथ को ५०% घटा सकने में कारगर मिला .यह आसपास की स्वस्थ कोशिकाओं से भी दूरी बनाए रहा .आम तौर पर कीमोथिरेपी स्वस्थ कोशाओं को भी लपेटे में ले लेती है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-स्वीट ता -इदिंग्स :चोकलेट कट्स प्रीमेच्योर बर्थ रिस्क (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई १० ,२०१० )

1 टिप्पणी:

honesty project democracy ने कहा…

शर्मा जी अमेरिका में हुए हर रिसर्च का भारत के इमानदार रिसर्च करने वालों द्वारा जब तक पुष्टि न हो जाय तब-तक उस पर चर्चा करना भी ठीक नहीं क्योकि अमेरिकी रिसर्च सिर्फ और सिर्फ दलाली और बेईमानी पे आधारित होता है | अगर कोई ईमानदारी से रिसर्च करे तो यह पूरी तरह साबित हो जायेगा की इंसानियत को शर्मसार करने वाली लोभ-लालच और बेईमानी का जनक और पोषक अमेरिका ही है और इसने तथा इसके भ्रष्ट व कुकर्मी उद्योगपतियों ने इस कोढ़ को पूरे विश्व में फ़ैलाने का काम किया है | इसके एजेंटों ने WHO का भी व्यवसायिक इस्तेमाल कर दुरूपयोग किया है ,अमेरिका पर विश्वास करना पूरी मानवता के लिए खतरनाक है |