गुरुवार, 8 जुलाई 2010

अल्ज़ाऐमर्ज़ की जल्दी शिनाख्त के "ब्लड टेस्ट "

ला -इलाज़ बने आये बुढापे के रोग (सेनाइल डिमेंशिया )या "अल्जा-ईमर्ज़"रोग का समय पूर्व पता चल जाए तो कहना ही क्या .अंधे को क्या चाहिए ,'दो आँखें 'वाली उक्ति चरितार्थ हो जाए ।
साइंसदानों के मुताबिक़ इस दिशा में काम हो रहा है ,हो सकता है रोग सेदस बरस पहले ही रोग का पता चल जाए ,रोग -निदान ,रोगनैदानिक - रक्त्जांच रिसर्चरों के हाथ लगजाये ।
ब्रितानी साइंसदान मान -समझ बतलातें है ,एक प्रोटीन काखून में स्तर रोग से पहले ही बहुत बढ़ जाता है ,यही रोग होने का पूर्व संकेत बन सकता है .इसे ही आधार बना एक "ब्लड टेस्ट 'पर सोचा समझा जा रहा है .विमर्श चल रहा है ,साइंसदानों में ।
किंग्स कोलिज लन्दन के साइंसदान कहतें हैं इस ब्लड प्रोटीन "क्लुस्तेरिन "का स्तर रोग के ज्ञात प्रथम लक्षण ज़ाहिर होने से बरसों पहले ही बढना शुरू हो जाता है ।
यही प्रोटीनशीघ्रतम और गंभीर किस्म की 'स्मृति -ह्रास 'की वजह बन जाती है ।
जितना ज्यादा इस रक्त प्रोटीन का स्तर रहता है उसी अनुपात में मेमोरी लोस भी बढ़ता जाता है .दिमाग का आकार भी तदानुरूप सिकुड़ कर छोटा होता जाता है .(आखिर दिजेंरेतिव जो है यह गंभीर किस्म की स्मृति -खोते चले जाने की बीमारी ,खासकर शोर्ट टर्म मेमोरी लोस .ब्रेकफास्ट करने के बाद मरीज़ कहता है ,मेरा ब्रेकफास्ट कहाँ है ?प्रेसिडेंट रीगन तो रोग के अंतिम चरण में यह भी नहीं जान पाए ,वह महिला जो उनकी तीमारदारी करती है ,और कोई नहीं उनकी बीवी है ,बेशक लॉन्ग टर्म मेमोरी जाने में बहुत वक्त लगता है ।).
रोग के प्रसार के बारे में पहले से इत्तला हो जाए इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है रोगी और उससे भी ज्यादा उसके तीमारदार के हक़ में .और वह भी एक कम खर्चीले ब्लड -टेस्ट से .वाह साहिब क्या बात है ?
क्लुस्तेरिन एक "ब्लड मारकर " के रूप में अल्जा -ईमर्ज़ की पैथोलोजी (रोग की वजह )और लक्षणों के उजागर करने में बड़ी मौजू रहेगी ,संदर्भित रहेगी ।
जिन लोगों के परिवार में यह रोग चलता आया है ,उनमे तथा जिनके लिए इसके खतरे का वजन दायाबितीज़ जैसे मेटाबोलिक दिस -ऑर्डर की वजह से पहले से ही ज्यादा बना हुआ है उनके लिए यह "ब्लड -टेस्ट "वरदान सिद्ध हो सकता है ।
आर्काइव्ज़ ऑफ़ जनरल साइकिएत्री में इस रक्त -जांच का पूरा ब्योरा उपलब्ध है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-ब्लड टेस्ट देत कैन दितेक्त आल्ज़ा -ईमर्ज़ १० ईयर्स बिफोर ओंसेट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई ७ ,२०१० )

1 टिप्पणी:

Satish Saxena ने कहा…

आप के ब्लाग पर अनूठे लेखन के लिए बधाई स्वीकारें ! बहुतों का भाल होगा आपकी इस दें से ! शुभकामनायें भाई जी !