अनाल्स ऑफ़ इन्टरनल मेडिसन में प्रकाशित एक नूतनतम रिपोर्ट के मुताबिक़ ५७ -८५ साला ४० फीसद मर्द "लिंगोथ्थान अभाव यानी इरेक्टाइल डिसफंक्शन "की चपेट में हैं .इनमे से कितने व्याग्रा का सेवन करते रहें हैं इसका कोई निश्चय नहीं लेकिन एक बात साफ़ हुई है -जो लोग व्याग्रा का स्तेमाल कर रहें हैं उनके लिए "यौन -खिलंदरी "जोखिम -शुदा यौन संसर्ग के मौके भी बढ़ गए हैं ।
"नंबर और टाइप ऑफ़ सेक्स्युअल एन -काउन्तार्स "दोनों में इजाफा हुआ है .फलतय(नतीज़तन ,परिणाम -स्वरूप इनमे यौन -संसर्ग से पैदा रोग सिफलिस (उपदंश ),सूजाक (गानारिया ),"सीएचएलएएम्वाईडीआईए "(सीचेलीम्वाइदीआइए) क्लीमिदिया आदि आम फ़हम रोग बन गए ।
बेशक यौन खिलंदरी के बीज इनमे पहले से थे लेकिन व्याग्रा ने इस बे -लगाम यौन व्यवहार को नै परवाज़ दे दी ,पंख ही लगा दिए ।
अमरीकी शोध कर्ताओं के मुताबिक़ इन अधेड़ उम्र जदा लोगों को सेक्स्युअल सलाह मशिवरा दिया जाना चाहिए इनको और इनसे इनके सेक्स्युअल पार्टनर्स को एच आई वी एड्स के संक्रमण का ख़तरा भी लगातार बढ़ रहा है ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-मेंन हू पोप वियाग्रा एट हाई रिस्क ऑफ़ एस टी डीज़(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई ,७ ,२०१० )
गुरुवार, 8 जुलाई 2010
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