बुधवार, 14 जुलाई 2010

किशोरावस्था में बेहिसाब पीने का मतलब अस्थि -क्षय की वजह बन सकता है ...

जर्नल एल्कोहल और एल्कोहलिज्म में प्रकाशित एक अध्धय्यन रिपोर्ट के मुताबिक़ बिना संयम शराब पीने की आदत शौक शौक में १३ साल की कच्ची उम्र में ही पड़ जाती है जो १८ -२२ की उम्र के बीच शिखर पर पहुँच जाती है .इसके बाद धीरे धीरे यह लत कम होने लगती है .एक औरत का एक ही मौके पर कमसे कम चार ड्रिंक्स लेना और मर्द का कमसे कम पांच बिंज -ड्रिंकिंग में शुमार हो जाता है .हेवी बिंज ड्रिंकर्स एक अव्सर पर १०-१५ ड्रिंक्स भी ले लेतें हैं ।
किशोरावस्था में बिना हिसाब के शराब पीना उन सैंकड़ों आनुवंशिक इकाइयों जींस में विघ्न पैदा कर देता है ,विघटन कर देता है जो अस्थि निर्माण में भागेदारी निभातें हैं .नतीज़ा होता है आइन्दा के लिए अस्थि क्षय (ओस्तिओपोरोसीस )और अस्थि भंग का आजाना ,उम्र से पहले ।
लोयोला यूनिवर्सिटी हेल्थ सिस्टम ,शिकागो के रिसर्चरों ने उक्त निष्कर्ष चूहों पर की गई आज़माइश के बाद निकालें हैं ।
हमारी जीवन शैली से स्केलितन (२०६ अस्थियों के हमारे ढाँचे )कोयुवावस्था में जो क्षति पहुँचती हैवह दूर तलक जाती है ।
बुढ़ाने की प्रकिर्या के संग साथ अस्थि क्षय चलता रहता है .यह वयस्क होने के बाद से निरंतर ज़ारी रहता है .इसीलिए ऐसा कोई भी शौक जो अस्थि निर्माण की प्रकिर्या को बाधित करता है ,विच्छिन्न करता है आगे के बरसों में अस्थि क्षय और बोन फ्रेक्चर (अस्थि -भंग )की वजह बन जाता है ।
हालाकि एनीमल डाटा जस का तस हम पर ना भी लागू होता हो एक एको तो छोड़ता ही है .
जीवन शैली को सुधार कर किशोरावस्था में प्रदर्शन की भावना से पैर ज़माते शौक से बचा जा सकता है .बचाव में ही बचाव है .यह उम्र निर्माण की होती है ,विध्वंश की नहीं .अपने ही साथ दगा बाज़ी कैसी ?क्यों ?
सन्दर्भ -सामिग्री :-टीनेज बिंज ड्रिंकिंग हिट्स जींस ,कौज़िज़ ओस्टियो -पोरोसिस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जुलाई १४ ,२०१० )

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