बुधवार, 9 मार्च 2011

साइंसदानों के बीच विवाद ....

अमरीकी अन्तरिक्ष संस्था 'नासा 'के कुछ चोटी के साइंसदानों ने उस दावे को बे -सिर पैर का बतलाया है ,जिसमे नासा के ही एक साइंसदान ने उलकाओं में (मीटियो -रोइड्स )में कुछ भौमेतर सूक्ष्म जैविक संगठनों (एलियन माइक्रोब्स )के मौजूद होने की इत्तला अपने एक रिसर्च पेपर में दी है .
रिचर्ड हूवर की यह रिसर्च 'पीयर री -वियूड जर्नल ऑफ़ कोस्मोलोजी 'में इसी शुक्रवार को ऑन लान प्रकाशित हुई थी.दीगर है ,जर्नल के प्रबंध सम्पादक ने अपने ही साथी पर इस प्रकार का गैर -व्यावसायिक हल्ला बोलने के लिए नासा के इन साइंसदानों को खासा लताड़ा है .हूवर के साथियों के इस असंगत व्यवहार को नासा की भी प्रतिष्ठा के प्रति -कूल बतलाया गया है .आखिर विरोध का भी तरीका होता है .और फिर यह मामला अकादमिक रहा है ।
हूवर ने अपने अध्ययन में कार्बो -नेशियास कोंड्राईट उलकाओं के टुकड़ों का विश्लेषण किया है ।
पर्त-दर -पर्त इन उलकाओं के अंशों की बारीकी से जांच की गई है ।
इनमे अपेक्षाकृत उच्च स्तर जल और कार्बनिक पदार्थों का रहा हो सकता है .इस एवज़ शक्ति -शाली सूक्ष्म -दर्शियों के अलावा फील्ड एमिशन स्केनिंग माइक्रो -स्कोप का भी स्तेमाल किया गया था ।
इन जीवाणु से मिलते जुलते क्रिएचर्स को हूवर ने नेच्युरल एंड इन -बोर्न (इन -डिजिनस फोसिल्स )कहा है .इनका विकास भौमेतर रहकर ही हुआ है ,पृथ्वी से बाहर अन्यत्र ही कहीं .ये जीव इन उलकाओं के पृथ्वी पर पहुँचने के बाद नहीं पनपें हैं ।
बकौल कार्ल पिचर (निदेशक ,एस्ट्रो-बायलाजी संस्थान ,नासा )हूवर नासा की ही सोलर फिजिक्स ब्रांच से सम्बद्ध रहें हैं .इनकी कार्यशाला (लैब )साउथ ईस्त्रनस्टेट ऑफ़ एलाबामा में है .जो हो यह विवाद साइंस की भी इज्ज़त नहीं बढाता .

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