रविवार, 13 मार्च 2011

पर्यावरणी शरणार्थी कौन हैं ?

हू आर एन -वाय्रंमेंटल रिफ्युजीज़ ?
कुदरती या मानव निर्मित आपदाओं से जिन्हें अपने ठीये (रहवास )मजबूरन छोड़ने पडतें हैं उन्हें पर्यावरणी शरणार्थी कहा जाता है .वजह देश के अंदरूनी हालात भी हो सकतें हैं जो इन्हें इक राज्य से दूसरे की और कूच करने के लिए मजबूर कर देतें हैं बेहद की गरीबी भी हो सकती है .आबादी का विस्फोट भी .विशिष्ठ आर्थिक क्षेत्र का बनना,बड़े बांधों का निर्माण भी ।
प्राकृतिक आपदाओं की लिस्ट बहुत लम्बी है इनमे सूखा बाढ़ की पुनरावृत्ति कुछ को अस्थाई तौर पर विस्थापित करती रहती है तो कुछ को भू -कंप और सूनामी बे -घर कर देतें हैं ।
सोइल इरोज़न(मृदा अपरदन ,लोस ऑफ़ टॉप सोइल ),भू -क्षरण,भू -स्खलन (लेण्ड स्लाइड ),रेगिस्तान का फैलाव ,जंग -लातों का सफाया (वन कटान ,डी -फोरेस्टेसन)आदि भी इस घर -बेदखली की वजह बनतें हैं .
हताशा होती है अपना मुल्क छोड़ने की वजह ,विकल्प का अभाव भी इन्हें यह मुश्किल फैसला लेने के लिए विवश करदेता है ।
इक अनुमान के अनुसार १९९५ में ऐसे शरणार्थियों की तादाद दो करोड़ पचास लाख थी जो अब पांच करोड़ के पार जा चुकी है ।
भारत में नर्मदा के विस्थापित अभी भी अपना ठिकाना ढूंढ रहें हैं .पडोसी बांग्ला देश का भी यही हाल है .

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