मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

अब ज्यादा निरापद रहेगा "इन -वीट्रो -फ़र -टी -लाइ -जेशन "

आप्को बतलादें चिकित्सा के क्षेत्र में इस बरस २०१० का नोबेल पुरूस्कार ब्रिटानी प्रोफ़ेसर राबर्ट एडवार्ड्स (८५ वर्षीय ) को दिया गयाहै .यही है वह नाम चीन शख्शियतहै जिनकी ईजाद की गई प्रोद्योगिकी "आई वी ऍफ़ यानी इन -वीट्रो -फ़र -टी -लाइजेशन यानी परखनली गर्भाधान "ने १९७८ से अब तक तकरीबन ४० लाख बच्चों को जन्म दिया है ।
आज दुनिया भर में हर छटा दम्पति किसी ना किसी किस्म की बांझपन समस्या से जूझ रहा है .आई वी ऍफ़ के रास्ते में एक बड़ी बाधा मल्तिपिल प्रेगनेंसी के रूप में आरही थी .अकसर ३० -३९ साला प्रजनन क्षम महिलायें ही इस प्राविधि को आजमा रहीं हैं ।
३२ बरस पहले लुइ ब्राउन पहली परखनली कन्या बनीं थीं तब से लेकर अब तक तकरीबन ३७,५०,००० बच्चे आई वी ऍफ़ के ज़रिये ही इस दुनिया में आधिकारिक तौर पर आचुके हैं ।
इस प्राविधि में प्रजनन क्षम महिला का पहले ह्यूमेन एग लिया जाता है .इसका निषेचन स्पर्म के साथ शरीर से बाहर एक लेब डिस में किया जाता है .(इसे ही आम भाषा में परखनली कह दिया जाता है ,इन -वीट्रो का मतलब एज इन ए ग्लास ऑर पेट्री- दिश आउट साइड मदर्स वोम्ब ,तथा फ़र -टी -लाइ -जेशन का अर्थ निषेचन अथवा गर्भाधान होता है .इन -वाइवो -फर्टी-ला -जेशन का मतलब होता है इन मदर्स वोम्ब .).इस प्राविधि में अब तक एक दिक्कत यह आरही थी एक से ज्यादा फर्टी -लाइज्द एग्स गर्भाशय में रोपने पड़ते थे .जिससे मल्तिपिल प्रेगनेंसी की समस्या आड़े आती थी .अब इम्प्लांट करने से पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाएगा ,गर्भाधान कामयाब होगा ,यानी फर्टी -लाइज्द एग में से छटनी के ज़रिये सर्वोत्तम को छांट कर ही इम्प्लांट किया जाएगा ।
(ज़ारी ....)

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