बेबी बोर्न फ्रॉम एम्ब्रियो फ्रोज़िन २० ईयर्स एगो (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर ११ ,२०१० ,पृष्ठ १७ )।
इस समय इस महिला की उम्र ४२ वर्ष है .दस सालों तक फर्टिलिटी क्लीनिकों की ख़ाक छानने के बाद हार कर उसने उस एम्ब्रियो को अंगीकार कर लिया जिसे चार अन्य एम्ब्रियोज़ के साथ १९९० में फ्रीज़ किया गया था .यह पाँचों एम्ब्रियोज़ एक ऐसे दंपत्ति द्वारा बेंक को दे दिए गए थे जिन्हें इन -वीट्रो -फर -टी -लाइ -जेशन तकनीक से संतान प्राप्त हो चुकी थी और ये पांच एम्ब्रियोज़ बच गये थे ।
आपको बत्लादें चिकित्सा शाश्त्र आठ सप्ताह तक के गर्भस्थ शिशु को जिसके सभी प्रमुख अन्ग पनप चुके होतें हैं एम्ब्रियो का दर्जा देता है .इसके बाद इसे फीटस कहा जाने लगता है .भारतीय दर्शन परम्परा में ऐसा कोई अंतर नहीं है .कन्सेप्शन के पहले दिन से प्रसव -पूर्व तक गर्भस्थ को भ्रूण (फीटस )ही कहा जाता है ।
मेडिकल जर्नल 'फर-टी -लिटी एंड स्टर -लिटी ने इस शिशु के जन्म की खबर को उस समय सार्वजनिक किया है जब "एम्ब्रियो "को प्रशीतित कर रखवाने की अवधि बढ़ाकर ५५ वर्ष कर दी गई है .यानी अब ऐसे किसी एम्ब्रियो की बदौलत एक युवती अपनी माँ -नानी के फ्रीज़ कर रखवाए एम्ब्रियोज़ से भी माँ बन सकती है .एक दो पीढ़ी पहले निषेचित एम्ब्रियोज़ के अलावा कोई भी युवती अपना ह्यूमेन एग भविष्य के लिए परि -रक्षित (क्रायो -प्रिजर्व ) कर रखवा सकती है .मनमाने समय पर माँ -बन सकती है .अपना ही एम्ब्रियो इम्प्लांट करवाके ।
जिन्हें किमो -थिय्रेपी लेना चिकित्सा कारणों से लाजिमी हो गया है वह रसायन -चिकित्सा से पूर्व अपना एम्ब्रियो क्रायो -प्रिजर्व करवा सकती हैं ताकि भविष्य के संभावित बाँझ -पनkई नौबत ही न आये ।
अलबत्ता नैतिक बहस "होने वाली संतान से आपका रिश्ता क्या है "चले तो चलती रहे .स्टेम -सेल टेक्नोलोजी को लेकर भी बहस चलती रही है .
मंगलवार, 12 अक्टूबर 2010
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2 टिप्पणियां:
ये इन्सान भी न जाने क्या करने पर उतारू है!
saaraa khel buddhi ,aakaankshaaon ,abhilaashaao,mahatv -kaanshaaon se judaa hai .jivan se apekhsaayen badhi hain be -shumaar .
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