क्या है हाइपो -एक्टिव -सेक्स्युअल डिजायर डिस -ऑर्डर ?
बिस्तरमें सेक्स के प्रति अरुचि ,आनाकानी करना ज़रूरी नहीं है हमबिस्तर की उपेक्षा ही हो .यह हाइपो -एक्टिव -सेक्स्युअल -डिस -ऑर्डर भी हो सकता है ऐसा साइंसदानों का अभिमत है ।हो सकता है इस अरुचि के जैव -वैज्ञानिक कारण मौजूद हों ।
साइंसदानों के मुताबिक़ सेक्स में अरुचि दिखाने वाली(लो लिबिडो ) महिलाओं के दिमाग की कार्य-शैली सेक्स में बराबर की भागेदारी करने वाली (हेल्दी सेक्स -ड्राइव ,हाई -लिबिडो )महिलाओं से जुदा होती है ।
लो लिबिडो महिलाओं के दिमाग की कुछ कोशाओं (ब्रेन सेल्स ) तक यौन -पूर्व क्रीडा के संवेगात्मक क्षणों में भी पूरा रक्त नहीं पहुँच पाता है ।
आखिर पुरुष लिंगोथ्थान (इरेक्शन ) औरमहिला योनी का फैलाव शिश्न और योनी की तरफ पूरीऔर अतिरिक्त रक्ता -पूर्ती का ही तो नतीज़ा होता है ।
सेक्स लाईज़ इन दी ब्रेन -सेल्स ।
अपने निषकर्ष तक पहुँचने के लिए माहिरों ने लो -लिबिडो महिलाओं के दिमाग की तुलना नोर्मल सेक्स ड्राइव महिलाओं से की .लो -सेक्स -ड्राइव महिलाओं को "हाइपो -सेक्स्युअल -डिजायर डिस -ऑर्डर" से ग्रस्त पाया गया ।ये वो महिलायें थीं जिनके दिमाग की कुछ कोशिकाओं तक रागात्मक लम्हों में भी पूरा रक्त नहीं पहुच रहा था .
वायने स्टेट यूनिवर्सिटी (देत्रोइत ) के मिचेल दिअमोंद ने माहिरों की टीम की अगुवाई की .आपने उस समय तमाम महिलाओं के ब्रेन स्केन्स लिए जिस दरमियाँ इन्हें इरोटिक फिल्म्स दिखलाई गईं थीं .मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग की गई सभी प्रतियोगियों की ।
हाई -लिबिडो महिलाओं के दिमाग के कुछ खास हिस्सों तक रक्तापूर्ति शानदार तरीके से हुई ,लो -लिबिडो महिलाएं इस अतिरिक्त आपूर्ति से वंचित रहीं ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-व्हाई वोमेन फेक हेड -एक्स इन बेड (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर २७ ,२०१० ,नै -दिल्ली संस्करण ,पृष्ठ २३ ).
बुधवार, 27 अक्तूबर 2010
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