बण्डल ऑफ़ जोय ?१७ वीक- फीटस ब्रेक्स इनटू स्माइल (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर १२ ,२०१० ,न्यू -देल्ही ,पृष्ठ १९ )।
गजब की मुस्कान लगती है यह जो कुल सत्रह सप्ताह के गर्भस्थ भ्रूण के चेहरे पर दमक रही है .इस से पहले स्टुअर्ट कैम्पबेल ने १८ -१९ सप्ताह के गर्भस्थ भ्रूणका क्राइंग फेस तो स्केन्स में देखा था लेकिन यह अद्भुत मुस्कान १७ सप्ताह के भ्रूण के चेहरे पर इस से पहले कभी नहीं देखी गई थी .शिशु के माँ -बाप भी चमत्कृत थे .अपनी लन्दन क्लिनिक में स्टुअर्ट अकसर स्केनिंग इंस्ट्रुमेंट्स से त्रि -आयामी और चार -आयामी स्केन उतारते रहें हैं .बेशक यह घटना यह सिद्ध नहीं करती कि अजन्मे शिशु में मानवीय भावनाए और संवेदनाएं होतीं हैं लेकिन मानवीय व्यवहार का एक पहलू तो हैं ही यह मुख मुद्राएँ ,स्टुअर्ट ऐसा मानतें हैं ।
ऐसा ज़रूर प्रतीत होता है दुःख दर्द का एहसास भ्रूणको अपने विकास के इस चरण में होने लगता है जो पूर्व के उन विश्वाशों ,धारणाओं से ज़रा हठकर है जिसके अनुसार गर्भस्थ भ्रूणकुदरती सिडेसन ,अचेतन अवस्था में बना रहता है .कैसा भी इंद्रिय संवेदन उसे छूता नहीं ।
बेशक इस अहेतुक मुस्कान ,इन -अड्वर -टेंट मुस्कान पर कैसी भी टिप्पणी करने को कैम्प -बेल भी तैयार नहीं हैं ,चमत्कृत ज़रूर हैं .आप किंग्स कोलिज तथा सैंट जोर्ज़िज़ अस्पताल लन्दन के स्त्री -रोग तथा प्रसूति -विज्ञान विभाग के मुखिया हैं .कौतुक बरकरार है इस मुस्कान का .
मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010
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