चीप रीडिंग ग्लासिज़ मे डेमेज आई -साईट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर २९ ,२०१० )।
एक नए अध्ययन के अनुसार पैसे बचाने के चक्कर में सस्ते नजर के चश्मे खरीदना दीर्घावधि मे आपकी नजर को (बीनाई और आँख )दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है ।
बेशक तथाकथित 'रेडी रीडर्स 'हाई -स्ट्रीट' शोप्स से सिर्फ एक पोंड खर्च करके आप खरीद लेते हैं लेकिन इसी के साथ आप सिरदर्द ,आई -स्ट्रेंन ,ब्लर्ड-विज़न भी खरीद लेते हैं .धुंधला दिखलाई देना शुरू हो सकता है आपको ।
प्रोडक्ट टेस्टिंग चेरिटी संस्था 'व्हिच ' ने यही नतीजे निकाले हैं .उपभोक्ता की खबरदारी के लिए इनका नोटिस लेना कितना ज़रूरी है इसे अलग से बताने की ज़रुरत नहीं है ।
तकरीबन दस बरस पहले बाज़ार पर एक दम से छा गए थे ये नजर के चश्मे (रीडिंग ग्लासिज़ ).तब इन्हें नजर को बचाने वाला एक सहज सुलभ उपाय समझा गया था .मुश्किलात से निकालने वाला भी ।
लाखों लाख लोग आज भी इन नजर के चश्मों को खरीदे जा रहे हैं .भारतीय बाज़ारों में भी एक मर्तबा ये चीनी चश्मे छा गए थे जिन्हें मात्र १०० -१२५ रुपया खर्च करके आज भी खरीदा जा सकता है ।
विदेशों में इनकी कीमत १०० पोंड्स तक या उससे भी ज्यादा पडती है .यहाँ तोभारत में ऑप्टो -मीत्रिस्ट रिफ्रेक्सन (बीनाई की जांच )भी निश्शुल्क कर देता है .विदेशों में यह सब कुछ बहुत महंगा है ।
ऊपर से चश्मे खो जाना ,टूट जाना एक आम बात है ।
डेली मेल के अनुसार सात हाई -स्ट्रीट चैन से उठाए गए १४ जोड़ी नजर के चश्मों की पड़ताल के बाद इनमे से सात को कोई न कोई परेशानी खडा करने वाला पाया गया .समस्या लिए हुए थे ये रीडिंग- ग्लासिज़ .
शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010
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