ईटिंग डिस -ऑर्डर्स की अभिनव -कड़ी के रूप में अब एनोरेक्सिया -नर्वोसा और एनोरेक्सिया बुलीमिया के बाद "ड्र -नकों- रेक्सिया "आ धमका है .ज्यादातर किशोर -किशोरिया ,युवा भीड़ पीनेऔर सिर्फ बे -हिसाब पीने की वजह से खाने को मुल्तवी रखतें हैं .कहीं फ़ूड केलोरीज़ उन्हें मुटिया न दे । फ़ूड केलोरीज़ का स्थान यह एम्प्टी एल्कोहल केलोरीज़ को दे रहें हैं .बस इसी विकसित होती युवाओं की एक दम से नै -लत का नाम है "ड्र -नकों -रेक्सिया "(ड्रिंक्स +एनोरेक्सिया ).
इस लत के पनपने के लिए कोलिज एक आदर्श जगह बनते जा रहें हैं .पीयर -ग्रुप का दवाब और फेड जो करादे सो कम .यह नतीजे हैं उस अध्ययन के जो टेक्साज़ विश्व -विद्यालय के स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ (जन स्वास्थ्य स्कूल ) नोर्थ टेक्साज़ विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विज्ञान केंद्र के माहिरों ने मिलकर निकाले हैं .पता चला गत दशाब्दी के सिर पर युवाओं में लोकप्रिय होती बेहिसाब शराब पीने की लत (बिंज ड्रिंकिंग )का सेहरा बांधा जा सकता है .इस एवज कई छात्रों से खुली बातचीत की गई (प्रभु -चावला की सीधी बात की तरह ).छात्रों का यह भी कहना है वह ऐसे कई और छात्रों को हमजोलियों को जानतें हैं जो ड्रिंक की ,बिंज ड्रिंकिंग की चाहत में लंच और डिनर दोनों से छिटकते हैं ,दबा कर शराब पीते हैं और छ्ह्राहरे भी बने रहतें हैं .
कुछ युवा बिंज ड्रिंकिंग के बाद बिंज ईटिंग भी करते हैं दबा कर जंक फ़ूड भाकोस्तें नहीं और इसके बाद विरेचक (दस्तावर चीजों )का सेवन करतें हैं .जैसे एनोरेक्सिया -बुलीमिया के म्मारे वोमिट करते हैं यह दस्त करतें हैं .मनो -विज्ञानियों के अनुसार ड्र -नकों -रेक्सिया की वजह लत (एडिक्सन )है .
शनिवार, 23 अक्टूबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें