क्या यह सृष्टि जिसका जन्म अब से तकरीबन १३.७ अरब वर्ष पूर्व उस महा -विस्फोट से हुआ जिसे "बिग बेंग "कहा गया जो अपने जन्म केबाद से ही निरंतर फैलती चली जा रही है ,विस्तार शील है ,एक दिन और वह दिन भी कोई बहुत दूर नहीं ,सिर्फ ३.७ अरब वर्ष बाद नष्ट हो जायेगी ?.गोचर -अगोचर ,चर -अचर,जड़ - जंगमएक दिन सारा द्रव्य -भार ,पदार्थं -ऊर्जा विलुप्त हो जायेगी ?कहा तो यही गया था सृष्टि का विस्तार अनंत -काल तक ज़ारी रहेगा .विस्तार दिन दूना रात चुगुना होता चला जाएगा ।
केलिफोर्निया विश्वविद्यालय ,बर्कली कैम्पस के सृष्टि -विज्ञानियों की एक टीम इस से इत्तेफाक नहीं रखती .राफेल बौस्सो की अगवानी वाली यह टीम कहती है ,आकलन बतलातें हैं सृष्टि अब से तकरीबन३.७ अरब वर्ष बाद बहुत संभावित है विनष्ट हो जाए ।
शाश्वत फुलाव -फैलाव सिद्धांत में असल समस्या मापन की है .आखिर यह सृष्टि रूपा गुब्बारे शून्य से प्रकट और मूर्त होते चले जा रहे हैं ।
"देअर इज ए 'मेज़र प्रोब्लम' इन दी कोस्मोलोजिकल थियरी ऑफ़ इटरनल इन्फ्लेशन -दी क्वांटम कोस्मोलोजिकल मोडिल व्हेयर इन्फ्लेश्नरी बबिल्स कैन एपियर आउट ऑफ़ नथिंग ।"
इनमे से कुछ बबिल्स हमेशा हमेशा के लिए फूलते चले जायेंगे ,लेकिन कुछ दूसरे कोलेप्स हो जायेंगेविलुप्त हो जायेंगे .जबकि प्रत्येक बबिल अपने आप में एक यूनिवर्स है .एक स्वतंत्र सृष्टि की मानिंद है .यह सब कुछ खोलते -उफनते पानी में बनते बिगड़ते बुलबुला सा ही है .अभी है अभी नहीं है ।
पानी के -रा बुदबुदा, अस मानस की जात ,देखत ही बूझ जाएगा ,ज्यों तारा परभात .यानी सारा अस्तित्व सारी कायनात क्षण भंगुर है ।
एक शाश्वत विस्तार शील ब्रह्मांड में वह सब होगा ,घटित जो हो सकता है .और एक नहीं अनगिन दफा ऐसा होगा .होनी भी अनहोनी भी ।
जब जब जो जो होना है ,तब तब सो सो होता है ?. प्रागुक्ति किसी भी घटना की संभव नहीं है .यानी कुछ भी कभी भी हो सकता है .हमारे जैसी कोई और भी कायनात है ,इसका कयास लगाना मुमकिन ही नहीं है .यदि सृष्टि में अनेकाएक लोग लोटरी जितने लगें तब यह कैसे कहा जा सकेगा ,लाटरी जीतना असम्भाव्य है ?
मंगलवार, 12 अक्तूबर 2010
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