शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2010

इस दुनिया से ऊबे और उकताए लोग ,क्या करतें हैं खाए -पीये -अघाए लोग .

नासा मुल्लिंग वन -वे मेनिड मार्स -मिशन (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर २९ ,२०१० )।
यह खबर आपको होलीवुड की किसी विज्ञान -गल्प पर आधारित फिल्म सी लग सकती है .लेकिन नासा गभीरता से चंद अन्तरिक्ष -यात्रियों को हमेशा -हमेशा के लिए मंगल -ग्रह पर जाने के लिए उकसा रहा है .यकीन मानिए यदि ऐसा हो गया और इन यात्रियों के साथ कुछ ऐसा -वैसा हो गया तो किसी कोर्ट -कचेहरी में नासा के खिलाफ कोई मुकदमा भी नहीं ठोक सकेगा ।
दरअसल इस ग्रह (पृथ्वी )पर जीवन के अनुकूल व्यवस्था को ,प्राकृतिक तत्वों को अपने आपको कायनात का नियंता समझने मानने वाले इतना रौंद चुकें हैं ,अब इन तत्वों की तात्विकता ही विनष्ट हो चुकी है .लेकिन इनके धत कर्म रुकने का नाम नहीं ले रहें हैं .पृथ्वी के संशाधनों को लूट -खसोटने के बाद अब इनकी गिद्ध दृष्टि मंगल पर आ टिकी है ॥
इस दुनिया से ऊबे और उकताए एक और जीवन जीने को आतुर अति -महत्वकांक्षी लोग इसके लिए तैयार भी हो जायेंगें .उन्हें लगता है एक और जीवन उनकी बाट जोह रहा है ।
हंड्रेड ईयर्स स्टार -शिप प्रोजेक्ट के तहत इस पर काम भी शुरू हो चुका है . रिसर्च टीम को जो तमाम संभावनाओं को तौल रही है नासा से एक लाख डॉलर की अतिरिक्त अनुदान राशि भी मिल चुकी है .बकौल पीट वारडन,डायरेक्टर एमिस रिसर्च सेंटर दस लाख पोंड की अनुदान राशि पहले ही मिल चुकी है .शेष भरपाई 'खाए -पीये -अघाए 'लोग कर देंगें . ये सीमाओं का अति -क्रमण कर संभावनाओं में जीने वाले लोग हैं .इन्हें मालूम होगा इन्हें भेजने का जिम्मा भर अमरीका की अन्तरिक्ष संस्था नासा का होगा .देर -सबेर इन्हें अपने पैरों पर ही खडा होना होगा .पृथ्वी से रसद नहीं भेजी जायेगी ।
इन्हें मंगल को अपना उपनिवेश बना लेने की ताकमें रहना होगा २४/७ .हर -पल -छिन।
ये नए सिकंदर होंगे इस दौर के .इन्होने ने मंगल का अमंगल अभी तक महसूस नहीं किया .यथार्थ की टक्कर जब सपनो से होती है तो सपनों के निशाँ भी नहीं रहते .फिर भी ऐसे संभावित मंगल यात्रियों के प्रति हमारी शुभ -कामनाएं हैं .

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