ब्रितानी साइंसदानों ने कलम कोशाओं को बस एक पखवाड़े में ही लेब दिश में कोंड्रो -साईट (कार्टिलेज सेल )में तब्दील करने की ऐसी तरकीब निकाल ली है जो ना सिर्फ घुटना और नितम्ब बदलकी आधुनिक शल्य -चिकित्सा को गैर ज़रूरी बनादेगी कलम -कोशा सुइंयों की मदद से ओर्थो -आर्थ -राइटिस का समाधान भी कर लेगी .इस रोगात्मक स्तिथि में उपास्थियाँ ही नाकारा हो जाती हैं .झुकना ,घुटनों के बल बैठना नामुमकिन हो जाता है .ऊंक्डून बैठकर भारतीय शैली के शौच -घर(रेस्ट रूम )का स्तेमाल मुमकिन नहीं रह जाता है .
बस कलम कोशा की सुइंयाँ असर ग्रस्त जोड़ों में लगाईं जायेंगीं और जोड़ों की टूट फूट की भरपाई हो जायेगी .युवा खिलाड़ी जो बेतरह चोटिल हो जातें हैं उन्हें घुटना -बदल और नितम्ब बदली के सदमे से बचाया जा सकेगा .किसी प्रकार का नैतिक संकट भी कलम कोशाओं को लेकर नहीं रह जाएगा जिन्हें वर्तमान में भ्रूण से जुटाया जाता है .आइन्दा दस सालों में यह सुइयां एनीमल परीक्षण के बाद मयस्सर हो सकती हैं .और तब नी एंड हिप -रिप्लेसमेंट थिय्रेपी इतिहास बनके रह जायेगी .
बुधवार, 20 अक्तूबर 2010
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