मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

गाली देने का पुरूस्कार ...

भारत भी अजीब मुल्क है यहाँ क़ानून का शासन राहुल के कजिन वरुण फ़िरोज़ गांधी पर तो लागू होताहै गिलानी और अरुंधती रॉय पर नहीं .कुछ लोग इस देश को "दारुल इस्लाम "बनाना चाहते हैं .घाटी में रहने वाले बमुश्किल ४-५ फीसद लोग ही इन अलगाववादियों के साथ हैं. उनकी रहनुमाई का दम भरने वाले कई गिलानी यहाँ आई एस आई की ताकत पर पल रहें हैं इन टुकड़ खोरों के साथ जम्मू कश्मीर लद्दाख क्षेत्र से न जम्मू और लद्दाख इनके साथ हैं न घाटी के गूज़र मुसलमान (बकरवाल )इनके साथ हैं .फिर भी भारत सरकार को यह लगातार खौफ के साए में रखतें हैं .सरकार तो आप जानतें हैं वोट की मारी है .क़ानून का शासन इन पर लागू करने का साहस खो चुकी है .भले दिल्ली पोलिस की लीगल सेल गीलानियों और अरुंधती रॉय के हालिया बयानों को देश द्रोह और लोगों को साफ़ -साफ़ भारत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाला बतला रही है .लेकिन इस देश में तो पत्ता भी राजनीति से पूछ के हिलता है .आइये देखें किसने क्या कहा दिल्ली आकर ।
गिलानी साहिब फर्मातें हैं "हम पूर्ण आज़ादी चाहतें हैं .हमारा भारत से क्या वास्ता ।
अरुन्धाती रॉय कहतीं हैं ,कश्मीर भारत का हिस्सा कभी नहीं रहा .भारत को कश्मीर को आज़ाद कर देना चाहिए .
आइये दो बात बुकर और ऐसे ही अवार्डों पर भी हो जाए .इन पुरुस्कारों की अपनी एक राजनीति है .गाली दो हिन्दुस्तान को पुरूस्कार पाओ ।
गनीमत है एक प्रखर राष्ट्रवादी आरिफ मोहम्मद साहिब भी मुसलमान की हैसियत से इस ज़मावड़ेमें शामिल थे आमंत्रित .वो न तब चुके थे जब राजीवजी के नेत्रिर्त्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा दिखाकर बुनियाद परस्त ,गैर -तरक्की -पसंद लोगों के आगे माथा टेका था .शाह्बानू को गुज़ारा भत्ता देने से महरूम रखवाया था .आपने गिलानी साहिब और इस देश के तमाम गीलानियों को आइना दिखलाते हुए क्या कहा -"गिलानी साहिब को आज़ादी मिली हुई है तभी कश्मीर से दिल्ली आये हैं आज़ादी से आज़ादी लेना गुलामी का वरण करना है .
भारत का आमजन इन हालातों से बहुत दुखी है .सरकार राष्ट्रवादी लोगों पर क़ानून का शासन लागू करती है .दुश्शासनों को आज़ादी है जो माँ -भारती का चीड हरण कर रहें हैं .वोट की मारी सरकार चुप है .जगमोहन होते तो क़ानून का शासन जम्मू कश्मीर लद्दाख क्षेत्र में चलता .फिलवक्त तो राज्य और केंद्र सरकार दोनों लीद कर रहीं हैं .उमर अब्दुल्ला तो बौखलाहट की हद तक पहुँच चुके हैं .अरुंधती की थूक चाट रहें हैं .यही भारत को गाली देने वाले सम्मानित होतें हैं .विदेशी सरज़मी से आने वाले पुरुस्कारों की यही हकीकत है ।
आई एस आई द्वारा भारत की राजनीतिक काया पर प्रत्यारोपित जेहादियों को समझना चाहिए .कश्मीर अब अलग इकाई के रूप में पनप नहीं सकता .टुकडा टुकडा आर्थिक रूप से तबाह हो चुके पाकिस्तान की राह पर उसे जाना है या आर्थिक रूप से विकसते भारत के साथ कदम ताल करना है .

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