डार्क चोकलेट्स इन दिनों रेड वाइन की तरह चर्चित है .सन्दर्भ है कोलेस्ट्रोल .आइये देखतें हैं इस बारे में क्या कहतें हैं माहिर .हल विश्व - विद्यालय (यु के )के रिसर्चरों के अनुसार डार्क चोकलेट्स में मौजूद रसायन "पोलिफिनोल "कुछ मधुमेह से ग्रस्त रोगियों में कोलेस्ट्रोल को थोड़ा सा कामकरने में सहायक रहा है .बढा हुआ कोलेस्ट्रोल ,खून में घुली हुई अतिरिक्त चर्बी ,हृद रोगों के जोखिम को बढा देती है .मधुमेह के रोगियों में इसका जोखिम बना रहता है .पूर्व में संपन्न अध्ययनों से भी कोकोआ बीन्स में पाया जाने वाला यह रसायन जिससे डार्क चोकलेट तैयार की जाती है हृद रोगों के खतरे के वजन को कम करने वाला बतलाया गया है ।
संदर्भित ब्रिटानी अध्ययन में जीवन शैली रोग सेकेंडरी डाय-बिटीज़ से ग्रस्त १२ स्वयंसेवियों में से कुछ को पोलिफिनोल्स से संवर्धित चोकलेट्स मुहैया करवाई गई पूरे १६ सप्ताह तक ।
इनका कुल कोलेस्ट्रोल थोड़ा कम दर्ज़ हुआ ,एच डी एल कोलेस्ट्रोल (हार्ट फ्रेंडली कोलेस्ट्रोल )में थोड़ा इजाफा भी दर्ज़ हुआ .निष्कर्ष निकाला गया यह, इसका मतलब दिल के हमले (हार्ट अटेक) का वजन भी कम हुआ .अध्ययन के मुखिया प्रोफ़ेसर एटकिन दो हाथ आगे निकल कर यह भी सुझाव देते नजर आयें हैं क्यों ना सेकेंडरी डाय -बिटीज़ के साथ जी रहे लोगों की खुराक का हिस्सा डार्क चोकलेट को भी बनाया जाए .बा -शर्ते उसमे कोकोआ की लोडिंग हो ।
दूसरी और डाय -बेतिक्सयु , यु . के., माहिरों ने चिंता व्यक्त की है ."लोग बेहद चोकलेट खाने लगेंगें .आखिर कोकोआ से लदी चोकलेट बार्स में भी वसा और शक्कर का डेरा तो होगाही " ।
ऐसे में नुकसानी ही ज्यादा होगी ।
हमारा मानना है केलोरीज़ का अपना गणित है रोज़ -बा -रोज़ वाइन पीने से (फिर रेड हो या वाईट )वजन तो बढेगा हीउसकेसाथ मोटापे का क्या कीजे ? . यही किस्सा तो चोकलेट का भी है .
बुधवार, 20 अक्तूबर 2010
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