दोस्तों कुल ज़मा चर्चा कोंग्रेस महासचिव राहुल गांधी के उस हालिया बयान की है जिसमे ज़नाब ने सिम्मी और संघ को एक ही खाने में ला बिठाया है यह कहकर ,दोनों संगठन अपने कलेवर में कट्टरवादीसोच और बुनियाद परस्ती को बढ़ावा दे रहें हैं ।
यहाँ हमारा कहना सिर्फ यह है ,तुलना दो सामान गुण - धर्म वाली चीज़ों की होती है .एक व्यक्ति जल की पूजा करता है .तालाब पर घाट बनवाता है दूसरा वहां (तालाब )पर आकर शौच से निवृत्त होता है ,पेशाब करता है .क्या दोनों की तुलना की जा सकती है
एक व्यक्ति पगड़ी बाँध कर किसी को सम्मानित करता है दूसरा उसकी धोती खींचता है क्या दोनों की तुलना कोई सामान्य व्यक्ति करने की सोच सकता है ।
आर एस एस (रास्ट्रीय स्वयं सेवक संघ )एक सांस्कृतिक संस्था है जो इतिहास की बिखरी हुई पुरातात्विक महत्व की कड़ियों को संजोये राष्ट्र निर्माण में संलग्न है .राष्ट्रीय आपदा के समय सबसे पहले मदद को आगे आती है ।
दूसरी संस्था नहीं एक आतंक वादी संगठन है जो स्वयं केंद्र सरकार द्वारा प्रति -बंधित है ।
क्या कोई सामान्य ज्ञान और बुद्धिवाला व्यक्ति दोनों की तुलना करने के बारे में सोच भी सकता है ?
फिर राहुल गांधी प्रबुद्ध फ़िरोज़ गांधी के पोते हैं .उन्हें कुलीन परम्परा के अनुरूप गुणी और बुद्धिशाली होना चाहिए .हमें ऐसा लगता है राष्ट्र हित में कांग्रेस के हित में इनका मनो -वैज्ञानिक परीक्षण होना चाहिए .कहीं यह मंद बुद्धि बालक के लक्षण तो नहीं ?
बुधवार, 6 अक्तूबर 2010
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6 टिप्पणियां:
इसके गुरूओं ने मति भ्रष्ट कर दी है. खुद की अक्कल न हो तो ऐसी बाते कर जाता है आदमी. भारत भविष्य में कैसे कैसे लोगों का राजतीलक करने जा रहा है.... बचा लेना प्रभु
कौंग्रेस तो फिर अलकायदा हुई समझो !
अब एक कटु टिपण्णी : जिस ह**** को इतना फर्क नहीं मालूम, वह कल प्रधानमंत्री बनकर देश क्या ख़ाक चलाएगा , जागो सोने वाले न*******मो !
राहुल बाबा को भी सेकुलर बनने का है न, और सेकुलर बनने का सबसे आसान तरीका है संघ को गरियाओ।
वैसे गरियाने की भी कोई लिमिट है, कुछ तो सैन्स हो तुलना में। सिम्मी और संघ एक जैसे हैं तो कॉंग्रेस और अलकायदा भी एक जैसे हैं।
आप पूरी तरह वस्तुपरक विश्लेषण कर रहे हैं और भाई लोगों की टिप्पणियॉं आत्मपरक हैं। आपने कहीं नहीं कहा कि आरएसएस भी सिमी की तरह भारत विरोधी काम कर रहा है। आपने इतना भर कहा है कि दोनों ही संगठन कट्टरतावादी और बुनियाद परस्त हैं।
पता नहीं भाई लोगों को इसमें आरएसएस की गतिविधियॉं भारत विरोधी क्यों अनुभव हो रही हैं।
आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं।
यह सच है कि संघ सिमी की तरह अलगाववादी संगठन नहीं बल्कि एक राष्ट्रवादी संगठन है. लेकिन दोनों की ही सोच कट्टरपंथ और दूसरों के प्रति नफरत को बढ़ावा देती है.
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