मिशन टू रेड प्लेनेट गेट्स नासा 'ज ग्रीन लाईट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर ७ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
आखिर कैसे विलुप्त हुआ मंगल ग्रह से एट -मोस -फीयर ?इसी की खोजबीन और पड़ताल के लिए अमरीकी अन्तरिक्ष संस्था "नासा "ने "मार्स एंड वोलाटाइल इवोल्यूशन "यानी" एम् ए वी ई एन "यानी "मावेन"के विकास और लौंच २०१३ को अपनी मंज़ूरी दे दी है .इस प्रोजेक्ट से उस इतिहास को भी खंगाला जा सकेगा जो अपने आगोश में संभवतय जीवन के अवशेषों और प्रतीकों चिन्हों को छिपाए है .क्या सच मुच में मंगल ग्रह पर कभी जीवन था .जीवन के अनुकूल एक वायुमंडल था .उसे बनाए रखने के लिए पर्याप्त गुरुत्व मान था .सूर्य से सही दूरी थी मंगल ग्रह की .आखिर हुआ क्या ?कहाँ बिला गया ,कूच कर गया गैसी आवरण यदि कोई था ?कौन चोर ले गया ?
इस प्रोजेक्ट से ऊपरी वायुमंडल के बारे में बेहतर समझ विकसित होगी .वायुमंडल के पलायन की भूमिका का खुलासा भी होगा .आखिर पृथ्वी के वायुमंडल में आज यदि हाई -ड्रोजन नहीं है तो उसकी वजह अपर्याप्त गुरुत्व है .सुदूर अतीत में जो कभी थी वह कूच कर गई गुरुत्व का पल्लू छुडा कर ।
इस प्रोजेक्ट के मुखिया हैं ब्रुसे जकोस्क्य .आप कोलोराडो विश्वविद्यालय,बौल्डर , की वायुमंडल -इय एवं अन्तरिक्ष प्रयोगशाला से सम्बद्ध हैं .बकौल आपके यह विज्ञान के बुनियादी सवाल हैं .मावेन मिशन इन सवालों पर रौशनी डाल सकता है ।
मावेन यह भी पता लगाएगा "हाव दी सन इज करेंट -ली स्वैपिंग दी मेर्शियंन एट -मोस -फीयर एंड मे डिस्कवर न्यू वनज आल्सो ."मावेन '"विल आल्सो वाच हाव दी लोस चेंज़िज़ एज सोलर एक्टिविटी चेंज़िज़ ओवर ए ईयर ।
यह प्रोजेक्ट अतीत वर्तमान और अनागत (भविष्य ) यानी आइन्दाके लिए मार्स मिशनों को जोड़ने वाली एक कड़ी के रूप में काम करेगा .आखिर इस लाल ग्रह का उद्भव और विकास कैसे हुआ है यह सदैव ही हमारे लिए कौतुक बना रहा है .
शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010
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