शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

व्यंग्य -विडंबन :यह मेरा इंडिया है .

यह मेरा इंडिया है .शुक्र है भारत नहीं हुआ ,नहीं तो कई दिक्कतें खड़ीं हो जातीं .बहरहाल साम्प्रदायिक लोग तो आज भी बाज़ नहीं आ रहे .जब देखो भारत -भारत कहते रहते हैं .संविधान तो पढ़ा नहीं .पढ़ें तो तब ना ,जब पढना आता हो .संविधान की शुरुआत ही इंडिया से होती है .साफ़ लिखा है -इंडिया देट इज भारत .अब कोई भी देख ले ,संविधान में इंडिया पहले दर्ज़ है ,भारत तो पीछे है .भारत तो इंडिया का अनुवाद मात्र है .ये भारतीय तो अनुवाद से काम चलाते हैं .हैं इसी लायक .मौलिक प्रतिभा होती तो भारत -भारत ना चिल्लाते .तिस पर सितम यह कि 'वन्देमातरम "जैसा भी कुछ -कुछ कहते रहतें हैं .यह तो कोढ़ में खाज हो गई .एक तो भारत तिस पर वन्देमातरम .पर यह बाज आयें ,तभी तो .दूसरों के ज़ज्बात कि कद्र ही नहीं करते .फिर ,अपने नाम भी देवतावाची रख लेतें हैं ,और वह भी हज़ारों वर्ष पुराने .कम -से -कम अपने नाम रखने से पहले ,दूसरी जमात से पूछ तो लेते .घर में बैठकर नाम रख लिया .हूंह ,पूछा तक नहीं ।
अब देखो इंडिया कैसा सेक्युलर नाम है .कहीं कोई भेदभाव ही नहीं .बम फोड़ने वाले भी इंडियन और शहीद होने वाले भी इंडियन .कोई फर्क है तो बता दो .ये तो साम्प्रदायिक हैं ,जो दोनों में भेदभाव करतें हैं .एक को आतंकवादी कहते हैं और दूसरे को शहीद .आत्मघाती आतंकवादी भी तो शहीद हो जाता है न !भारत पर प्राण न्यौछावर कर देता है .इससे बड़ी भारत -भक्ति क्या हो सकती है ?आत्मा तो सबकी अमर है .ज्ञान कि कैसी उच्च अवस्था है ।
इंडिया सेक्युलर है .अब तो सबकी मौज है .विश्वास ना हो तो चैनल वालों से पूछ लो .सभी प्रगतिशील हैं ,सभी बहुलवादी हैं !वोटर भी और सरकार भी .आपस में भाईचारा है .भाई भाव से सभी चारा खा रहें हैं .साध और चोर एक घाट का पानी पी रहें हैं .एक का हाथ दूसरे की जेब में है .ऐसा सनातन रिश्ता भला कहाँ मिलेगा ?फिर भी भारत क्या खाकर इंडिया का मुकाबला करेगा ?वह तो वैसे ही 'देट इज भारत 'है .तभी तो सब जगह ठुकता है .ऑस्ट्रेलिया में भी तो भारत ही ठुकता है न !इंडिया को कुछ कहकर देखें !एक बार जरा सी पूछताछ हुई थी कि 'पिरधान जी 'को सारी रात नींद ही नहीं आई .मैं कहता हूँ कि जिसका निगहबान पिरधान जी हो ,उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है ?भारत कीबात तो दूसरी है .न कोई इसका वली है ,न कोई वारिस .फिर जिसका कोई वली -वारिस ना हो ,उससे जुड़कर कौन मरदूद अपनी ऐसी -तैसी करवाएगा .सौ टके की बाट तो यह है कि जिसका पिरधान नहीं होता ,उसका तो खुदा भी नहीं होता .हाँ सेक्युलर हो तो बात अलग है .वली -वारिस ना होने पर भी चलेगा .जात न पूछो साधू की ,पूछ लीजिये ज्ञान .पूछना तो नहीं चाहिए था ,पर एक भदवे ने किसी मंगल -मुखी सेपूछ ही लिया कि उसके बेटे का बाप कौन है ?तो उसने छाती ठोंककर कहा कि इसका बाप सेक्युलर है .अब सेक्युलर का नाम तो आप पूछ नहीं सकते न !समझदार को इशारा काफी है .अपना मुसेसर समझदार है .इशारा पाते ही सेक्युलर हो गया है .अब सभी पर रौब ग़ालिब करता है .यह तो उस नासपीटे सिपहिया ने उस कूड़ाबीन मुसेसर को बम बनाते समय रंगे हाथों पकड़ लिया .सिपहिया ने गलती की ,दंड तो मिलना ही था .अब पछता रहा है .नौकरी तो गई ही ,सेक्युलर वोट पर तोहमत लगाने की सजा भी भुगत रहा है .अरे भाई ,बम -वम तो भारत बर्दाश्त कर ही लेता ,इंडिया तो सुरक्षित रहता .भारत तो पहले भी बर्दाश्त करता रहा है .उसकी तो पुरानी आदत है .इसमें इंडिया क्या कर सकता है ?खुदा न खास्ता ,उस दिन सेक्युलर वोट हाथ से खिसक जाता तो फिर इंडिया का क्या होता ?'पिरधान जी 'की इस पीड़ा को कोई समझे तब न !
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )

कोई टिप्पणी नहीं: