नोइज़ इन ऑफिस कैन बी डेडली फॉर योर हार्ट .वर्किंग इन ए नोइज़ी एन्वायरन्मेंट मोर देन डबल्स दी रिस्क्म ऑफ़ सीरियस हार्ट प्रोब्लम्स एंड इन अंडर५०इज़ ,दी रिस्क इन्क्रीज़िज़ .(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर ७ ,२०१० ,पृष्ठ २१ ,न्यू -देल्ही संस्करण )।
दफ्तर में नियत स्तर का शोर आपके लिए दिल के गंभीर रोगों के खतरे का वजन ही नहीं ,आपका वेट और स्मोकिंग को भी बेतरह बढाता है .एक ब्रितानी चिकित्सा विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन से यही खुलासा हुआ है .हर दम एक जैसे शोरशराबे में काम करते रहने से दिल के लिए गंभीर रोगों का ख़तरा बढ़ कर दोगुना हो जाता है .लेकिन पचास साल से कम उम्र के लोगों केलिए इस खतरे के बढ़ने का वजन चार गुना ज्यादा हो जाता है .धूम्र्पानी युवा भीड़ शोर से बेहिसाब असर ग्रस्त होकर धुआँ दार तरीके से स्मोक करती है ।
५ साला अवधि में ६०००से ज्यादा लोगों का अध्ययन किया गया .इनमे से एक समूह के लोगों को तीन माह तक लगातार तेज़ दफ्तरी शोर से दो चार होना पड़ा .जबकि दूसरे वर्ग केलोगों को शोर वाले माहौल में नहीं रखा गया पहले वर्ग के लोगों में स्मोक करने की बढ़ी हुई प्रवृत्ति तथा वेट गेंन दर्ज़ हुआ .
पचास सालसे नीचे के लोगोंमें तेज़ शोर का ज्यादा असर देखने में आया .एंजाइना या फिर परिह्रिदय धमनी रोगों का ख़तरा इनके लिए तीन से चार गुना बढा हुआ रहा .हार्ट अटैक के खतरे का वजन भी इसी अनुपात में बढा हुआ रहा .
बेहद का संवेगात्मक दवाब (सदेंन इमोशनल स्ट्रेस ),फिजिकल एग्ज़र्शन तथा शोर का बढा हुआ नियत स्तर केमिकल मेसिंजर्स को (रासायनिक सन्देश वाहकों )उक सा करहृद धमनियों की और रक्त प्रवाह में बाधा डलवाता है .कार्य स्थल पर शोर का बढा हुआ स्तर एक "अक्युपेशंल हेल्थ इश्यु है ".काम क़ाज़ी स्थल पर शोर का बढा हुआ और बने रहने वाला स्तर हार्ट अटैक केमामलों में इजाफा करता है .यह साफ़ अंतर सम्बन्ध पुष्ट हुआ है इस अध्ययन से .दिल के जों पहले ही मरीज़ हैं उनके लिए शोर एक अक्युपेश्नल स्त्रेसर है .ट्रिग्गर है दर्दे दिल का .
शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010
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