सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

कार्डियो -वैस्क्युलर डीज़ीज़ और सच्यु -रेटिड फैट्स क्या है अंतर -सम्बन्ध ?

हृद -सम्वाहिकीय रोगों (कार्डियो -वैस्क्युँलर) ,परि -ह्रदय रोग( कोरोनरी आर्टरी डीज़ीज़ )की एक एहम वजहों में से एक अब तक संतृप्त वसाओं को माना समझा जाता रहा है .लेकिन एक नए अधययन के अनुसार सच्युरेट फैट्स की भूमिका को बहुत ही सीमित माना जा रहा है .तब क्या इन वसाओं को लेकर नए सिरे से रुक कर सोचने की ज़रुरत है ?
फैट रिसर्च के एक नाम चीन माहिर ताज़ा विश्लेषण से इस नतीजे पर पहुंचे हैं ऐसा कोई भी निष्कर्ष निकालना अति सरलीकरण होगा .आपने इन रूम टेम्प्रेचर पर ज़मने वाली वसाओं का व्यक्ति के सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुल प्रभाव का विशलेषण करने के बाद ,ऐसी कोई भी खुराकी सलाह ना देने की पेशकश की है जो इन संतृप्त वसाओं को कटहरे में ला खडा करतीं हैं .

कोई टिप्पणी नहीं: