हू इज ए सोल सरफर ?/ओपीन स्पेस /संडे टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अक्टूबर ३ ,२०१० ,पृष्ठ २२ ,मुंबई संस्करण )।
संगीत के क्षेत्र में एक "सोल मूवमेंट "को व्यवस्थित तौर पर स्तेमाल करने के लिए सोल सर्फिंग की शुरुआत हुई .इसका पहली मर्तबा प्रिंट मीडिया में ज़िक्र भी एक सोल गिटार -वादक ने १९६३ में किया है .दक्षिण केलिफोर्निया का रहने वाला था यह सोल गिटारिस्ट जोहनी फोर्तुने .इन्हें ही वाद्य-सोल -सरफर कहा गया (इन्स्त्रयुमेंटल सोल सरफर .)
१९६९ में धर्म -शास्त्री(धर्म विज्ञान के माहिर ) टॉम ब्लेके ने "वोईस ऑफ़ दी वेव "सर्फिंग के धार्मिक तत्वों का जायजा लिया .सोल सरफर अपने आपको अभिव्यक्त करता है .इसके लिए वह अपने शरीर को भी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाता है . अपने को एक रूप एक ताल करता है वेव स्पिरिट के साथ ,उस ब्रेकिंग वेव के साथ जिसे वह अपने संगीत में भी ढालता है .यही है आत्मा का आध्यात्मिक संगीत सृजन .सोल म्युज़िक गहन संवेगों की अभिव्यक्ति करता है .अफ़्रीकी -अमरीकियों ने इसे लोक -प्रियता के शिखर पर पहुंचाया है ।
सोल म्युज़िक इज रिलेत्द टू गोस्पेल म्युज़िक एंड रिदम एंड ब्लूज़ .
रविवार, 3 अक्तूबर 2010
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