शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010

बच्चों में हाई -पर -काई -नेज़िया की वजहें खानदानी जींस

हाई -पर एक्टिव बिहेवियर ड्यू टू जींस ,नोट पेरेंटिंग (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अक्टूबर १ ,२०१० ,पृष्ठ २१ )।
पहले जाने "हाई -पर -काइनेज़िया क्या है ?
इट इज ए स्टेट ऑफ़ ओवर -एक्टिव रेस्टलेस- नेस इन चिल्ड्रन .हाई -पर -काइनेटिक डिस -ऑर्डर इज आल्सो काल्ड "अटें -शन डेफिसिट /हाई -पर -एक्टिविटी डिस -ऑर्डर" .यानी "ए डी एच डी" इट इज ए मेंटल डिस -ऑर्डर युज्युअली ऑफ़ चिल्ड्रन करेक्ट -राइज्द बाई ए ग्रोसली एक्सेसिव लेविल ऑफ़ एक्टिविटी एंड ए मार्कड इम्पेयर्ड -मेंट ऑफ़ दी एबिलिटी टू अटेंड ।
ऐसे बच्चों में बोध सम्बन्धी (कोगनिटिव )कमियाँ रह जातीं हैं जिसकी वजह परवरिश ना होकर कुछ विरासत में मिली खानदानी जीवन इकाइयां,जींस होती हैं .ऐसा बच्चा घडी दो घडी भी चैन से टिक कर एक जगह नहीं बैठ पाताहै .ना कुछ सीख समझ पाता है.आक्रामक कब हो जाए इसका भी कोई निश्चय नहीं रहता .बिहेवियर थिय्रेपी और दवाएं दोनों आजमाई जातीं हैं .ऐसे बच्चों पर .
आइये अब रिपोर्ट का संज्ञान लेतें हैं .साइंसदानों ने पता लगाया है "ए डी एच डी "एक जेनेटिक कंडीशन है इसका ठीकरा माँ- बाप द्वारा मुहैया करवाई गई परवरिश पर नहीं फोड़ा जा सकता ।
५० के पीछे एक बच्चा आज इस मानसिक विकार से ग्रस्त है .विघ्न संतोषी ,विघ्न पैदा करता रहता है ऐसा बच्चा किसी भी गति -विधि में उसका ध्यान नहीं लगता .खेल बिगाड़ा काम बिगाड़ा बना रहता है ऐसा बच्चा इलाज़ और पर्याप्त तवज्जो के अभाव में ।
इसका ना तो बच्चे की खराब परवरिश से कुछ लेना देना है ना खुराक में शक्कर की अतिरिक्त मात्रा से .लांसेट में प्रकाशित साक्ष्य वास्तु स्थिति का खुलासा करतें हैं .यह तथ्य उस अध्ययन से निकाले गएँ हैं जिसमे ३६६ ए डी एच डी से ग्रस्त तथा १०४७ इससे मुक्त सामान्य बच्चों के जेनेटिक कोड की परस्पर तुलना की गई है ।
इससे ग्रस्त बच्चों में सिर्फ स्माल ही नहीं कई महत्वूर्ण हिस्से डी एन ए के नदारद देखे गएँ हैं .या फिर इन हिस्सों का जीनोम में दोहराव देखा गया है ।
चिल्ड्रन विद ए डी एच डी वर मोर लाइकली टू हेव स्माल बट इम्पोर्टेंट सेग्मेंट्स ऑफ़ डी एन ए देत वर आइदर मिसिंग ऑर

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