शनिवार, 7 अगस्त 2010

टूटा दिल खुद अपनी मरम्मत कर लेगा

इन ५ ईयर्स ,ब्रोकिन हार्ट टू मेंड इटसेल्फ़(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त ७ ,२०१० ,पृष्ठ १९ )
कार्डिएक अरेस्ट तथा बुढ़ाने की सामान्य प्रक्रिया दिमाग के असर ग्रस्त हिस्से को मुकम्मिल तौर पर नाकारा बना देती है .क्षतिग्रस्त मसल हमेशा हमेशा के लिए नाकारा हो जाता रहा है .अब सामान्य आबन्धी ऊतकों ऑर्डिनरी कनेक्तिव टिश्यु )को मसल सेल में बदलने की तरकीब सोची जा रही है .उम्मीद है यह तकनीक आगामी पांच सालों में हासिल हो जायेगी .इसीके साथ दिल को ये कूवत हासिल हो जायेगी ,खुद अपने क्षतिग्रस्त हिस्से को दुरुस्त कर लेगा ।क्षति ग्रस्त दिल की दुरुस्ती से ताल्लुक रखने वाले दो अध्धय्यन एक साथ प्रकाशित हुएँ हैं .एक में संरचनात्मक बीटिंग सेल्स (धड़कन -क्षम कोशाओं) को में बदल देने तथा दूसरे में नष्ट हो चुके ऊतकों की पुनर -प्राप्ति के बाबत चर्चा है ।
गौर तलब यह है मरम्मत का सारा काम असरग्रस्त व्यक्ति के शरीर के अन्दर ही होगा .यह प्रोद्योगिकी है तो कलम -कोशा -प्रोद्योगिकी (स्टेम सेल टेक्नोलोजी ) सी ही है लेकिन कलम कोशाओं को शरीर के बाहर तैयार करके दोबारा इंजेक्ट करना पड़ता है .लेकिन यहाँ कोशायें ठीक उसी जगाह काम करने लगतीं हैं जहां उनकी ज़रुरत होती है ।
इस शोध को एक भारतीय मूल के साइंसदान दीपक श्रीवास्तव और साथियों ने आगे बढाया है .आप केलिफोर्निया विश्वविद्यालय के गलेदस्तोंन इंस्टिट्यूट से सम्बद्ध हैं .
बीटिंग मसल सेल्स को "कार्डियो -मायो -साइट्स "खा जाता है .हार्ट अटेक(दिल का दौरा )पड़ने पर दिल के जितने हिस्से तक रक्त आपूर्ति नहीं हो पाती उस हिस्से की बीटिंग सेल्स मर जातीं हैं ,इन्हें घेरे रहने वाले आबन्धी ऊतक(फाईब -रो भी सर ग्रस्त होतें हैं जिन्हें दोबारा

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