"क्ल़ा-इ - मैट चेंज विल इनक्रीज कार्डिएक अरेस्ट्स '(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त १२,२०१० ,पृष्ठ १९ )।
विश्व -व्यापी तापन के ज़ारी रहने के साथ साथ हृद रोगों के गंभीर मामलों में दिनानुदिन इजाफा होगा ऐसी राय माहिरों ने ज़ाहिर की है ।
माहिरों के अनुसार जैसे जैसे तापमान की एक्स्त्रीम्स बेहद गर्मी (उच्चतर - तापमान )तथा बेहद ठण्ड (निम्नतर तापमान,बेहद ठन्डे मौसम ) से हृद रोगियों को दो चार होना पड़ेगा वैसे ही वैसे ह्रदय गति रुक जाने केगंभीर मामलों में वृद्धि दर्ज़ होगी .क्योंकि धुर तापमान ह्रदय पर दवाब बढातें हैं ,स्ट्रेन बढती है दिल के लिए ।
ब्रितानी मेडिकल जर्नल की एक स्टडी के मुताबिक़ प्रत्येक सेल्सिअस तापमान में गिरावट के लिए एक ही दिनमे ब्रिटेन में २०० के हिसाब से ज्यादा मामले दर्ज़ हुए ।
जबकि हीट वेव्स से मरने वालों की वजहें और भी रहीं हैं ,२००३ की ग्रीष्म ने पेरिस मेंघटी घटनाओं से यही सिद्ध हुआ है ।
उस सालअगस्त के मध्य तक(पहले पखवाड़े तक ) फ्रांस में आई हीट वेव से ११,००० लोग कालकवलित हो गए थे .तापमान तब ४० सेल्सिअस तक जा पहुंचा था ।
निम्नतर तापमानों(बेहद ठन्डे मौसम में ) में मृत्यु की वजह का ठीक ठीक कयास नहीं लगाया जा सका है .माहिरों के अनुसार इसका कारण रक्तचाप में बदलाव ,ब्लड थिकनेस में होने वाले परिवर्तन भी हो सकतें हैं .जो हो जलवायु परिवर्तन दिल के लिए भारी सिद्ध हो रहा है .
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