कुड्जु मे ट्रीट कोकेन एडिक्शन (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २४ ,२०१० ,पृष्ठ १५ )।
एक खराब मौसम को भी झेल लेने वाला हार्डी प्लांट होता है, वल्लरी (वेळ ) की शक्ल लिए होता है जिसपर पपिल(बैंजनी )खूबसूरत फूल लगतें हैं .पुष्टिकर स्टार्च से युक्त होतें हैं यह पुष्प औषधीय गुणों से भरपूर .यही कुड्जु वाइन (कुड्जु की वेळ है ,वल्लरी है )।
इसी औषधीय पादप का सार (सत या एक्सट्रेक्ट )जिसका स्तेमाल शराब छुड़ाई में किया जाता रहा है अब लती कारक नारकोटिक ड्रग (कोकेन )की लत सेग्र्स्त लोगों को इसकी गिरिफ्त से निकालने के लिए भी साइंसदानों द्वारा आजमाया जा रहा है .आप जानतें हैं कोका पादप से तैयार होता है कोकेन जिसका स्तेमाल कभी कभार एक एनस -थेतिक के रूप में भी डॉ. करतें हैं ।
गिलेअड साइंसिज़ इंक के रिसर्चरों ने इसकी आजमाइशें की हैं .
चूहों पर किये गये प्रयोगों से पता चला इस पादप का सार देने पर चूहे आपसे आप (जो पहले कोकेन लेते रहे थे)कोकेन से छिटकने लगतें हैं . नेचर मेडिसन में गिलेअड की टीम ने अध्ययन के नतीजे प्रकाशित किये हैं .दरअसल यह दवा (वेल्लरीका सार,कुड्जु एक्सट्रेक्ट ) एक यौगिक टेट्रा -हाई -ड्रो-पपवेरोलिने (टी एच पी )के स्तर को शरीर में बढ़ा देता है .कोकेन की तलब दिमागी जैव -रसायन (न्यूरो -ट्रांस- मीटर)डोपा- मीन के स्तर को बढा देती है .टी एच पी इसमें आड़े आता है .ऐसा होने नहीं देता है .बस कोकेन की लत धीरे धीरे छूट जाती है .
मंगलवार, 24 अगस्त 2010
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