पैरासिटामोल डबल्स एस्मा रिस्क ,पैन -किलर्स आल्सो काज़िज़ एल्र्जीज़ एंड एग्जीमा इन टीन्स,सेज स्टडी (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई अगस्त १६ ,२०१० ,पृष्ठ १३ )।
एक अध्ययन के मुताबिक़ सहज सुलभ (ओवर दी काउंटर ड्रग )ज्वर और दर्द नाशी दवा पैरासिटामोल का किशोरावस्था में आम स्तेमाल दमा के खतरे के वजन को दो गुना बढाने के साथ साथ गंभीर किस्म की एल्र्जीज़ (प्र्त्युऊर्ज्ता )भी पैदा कर सकता है ।
न्यूज़ीलैंड के मेडिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट ने पैरासिटामोल का सम्बन्ध एलर्जिक नेज़ल कन्जेश्चंन तथा एग्जीमा से भी जोड़ा है ।
रिसर्च में ३० ,००० ,१३-१४ साला किशोर -किशोरियों को शरीक किया गया था .पता चला इनमे से जो इस दवा का स्तेमाल साल में एक दफा करते थे उनमे एलर्जिक नेज़ल कन्जेश्चंन का ख़तरा ३८ फीसद बढा हुआ था .जबकि जो महीने में एक मर्तबा पैरासिटामोल ले लेते थे उनमे यह दोगुना से भी ज्यादा हो गया था .बरक्स इनके जो इसका स्तेमाल ही नहीं करते थे ।
जबकि एग्जीमा के खतरे का वजन साल में एक बार यह दर्द नाशी लेने वालों के लिए एक तिहाई और महीने में एक बार लेने वालों के लिए दो गुना से बस थोड़ा सा ही कम बढा हुआ देखा गया ।
ऐसा प्रतीत होता है पैरासिटामोल किशोरावस्था में रोग -प्रति -रोधी तंत्र में व्यवधान पैदा करश्वसन मार्ग में रोग संक्रमण और सोजिश पैदा कर देता है जो आखिरकार दमा की वजह बनता है ।
बेशक इस दवा के व्यापक चलन को देखते हुए यदि इससे बचा जाए तो दमा के गंभीर मामले आधे ही रह जायेंगें ।
हालाकि निश्चय पूर्वक अभी कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन संभाव्य तो है ही दमा नेज़ल एल्र्जीज़ और एग्जीमा की वजह यह ज्वरनाशी ही बन रही हो ।
शेष आबादी के लिए भी ४० फीसद मामलों को गंभीर रूख देने में पैरासिटामोल का हाथ हो सकता है .खटका तो है ही रेन्द्माइज़्द कंट्रोल्ड ट्रायल्स जल्दी से जल्दी हों यह ज़रूरी है .ताकि इस संभावित अंतर्संबंध की आगे पड़ताल हो सके .सवाल सिर्फ किशोर किशोरियों का ही नहीं है गर्भवती महिलाओं और तमाम अन्य आयु वर्ग के लोगों से भी जुडा है .बचाव में ही बचाव है .
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