शनिवार, 14 अगस्त 2010

फिजिक्स ऑफ़ शैम्पेन

शैम्पेन फिजिक्स :टिल्ट ग्लास व्हाइल यु पोर (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई अगस्त १४ ,२०१० ,पृष्ठ २५ ).
कैसे ग्लास में ढाली जाए उड़ेंलीजाए घुलित कार्बन डायोक्साइड से लदी शैम्पेन .कैसे बचाई जाय फिज्ज़ .फ्लेट होने से बुलबुलेदार शराब को ,फिज्ज़ी ड्रिंक्स के एरोमा (सुगंधी )को ?
क्या ग्लास को तिरछा करके धीरे धीरे उड़ेंली जाए बीयर की तरह शैम्पेन या बीयर की तरहही "हेड" बनाया जाए सीधा उडेंल कर ?आखिर परोसने के पीछे भी एक केमिस्ट्री है एक सलीका है ?फिर चाहे वह बीयर हो या शैम्पेन .
फ्रांस के साइंसदान कहतें हैं ,इस सवाल का हल तलाश लिया गया है ।
ज़वाब है -एट एन एंगिल ,नॉट स्ट्रेट डाउन .बचा कर रखा जाए फिज्ज़ को .जाया ना जाने दिया जाए सुगंधी को ,एरोमा को .रिम्स विश्वविद्यालय के साइंसदान कहतें हैं ,इस बबिलयुक्त शराब को सलीके से ग्लास को एक ख़ास कौड़ पर (इन ए स्लान्तिग पोजीशन )धीरे धीरे सलीके से झागों को बचा कर परोसा जाए .ऐसा करने से स्वाद और सुगंध दोनों देर तक कायम रहतें हैं .(जानतें हैं अपने उदगम स्थल गंगोत्री से समेटा गया गंगा जल क्यों नहीं सड़ता ?इसमें घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बे -हिसाब होती है ).यहाँ ऑक्सीजन की जगह कार्बन डाय -ऑक्साइड की अतिरिक्त मात्रा है ,जो शैम्पेन की जान है ,पहचान है ।
कृषि और खाद्य रसायन के एक अमरीकी विज्ञान प्रपत्र में (जर्नल ऑफ़ एग्री -कल्चर एंड फ़ूड केमिस्ट्री ,ए यु. एस. पब्लिकेशन )में इसी सप्ताह यह अध्ययन छप रहा है .इसमें शैम्पेन परोसते वक्त ,सर्व करने की प्रक्रिया में कार्बन -डाय -ऑक्साइड ह्रास की ख़ास चर्चा की गई है .बतलाया गया है कैसे इसका सम्बन्ध हमारी स्वाद कलिकाओं (टेस्ट बड्स ,जबान की ख़ास कोशाओं )से जुडा है ,जो स्वाद के एहसास से ताल्लुक रखतीं हैं ।
रिसर्चरों ने प्रचलित दोनों तरीकों का विस्तार से अधययन किया है .एक जिसमे तरल लम्बवत (पपेंडी -क्युल्रली ) "शैम्पेन फ्ल्युत ",(ग्लास) की तलहटी से टकराता है (वर्टिकल फाल ऑफ़ शैम्पेन डाउन टू बोटम )दूसरा जिसमे ग्लास को झुकाए रखाजाता है एक ख़ास अंदाज़ में ताकि किसी को कानों कान खबर ना हो (हिस्स हिस्स कैसी ?)।
इसी के साथ शैम्पेन ग्लास की एक नै पीढ़ी विशेष तौर पर इस अध्ययन के नतीजों के आलोक में रिसर्च की जा रही है .अन्वेषण ज़ारी हैं .मुद्दा है कार्बन -डाय ऑक्साइड के रिसाव को नियंत्रित करना .विनियमन करना कार्बन -डाय -ऑक्साइड का है ।
परोसने के दोनों ही तरीकों में अलग अलग निम्नतर तापमानों पर शैम्पेन को ढाल कर कार्बन -डायोक्साइड केरिसाब को ,स्वाद को परखा गया है .पता चला कम रिसती है चिल्ड- शैम्पेन से कार्बन -डाय -ऑक्साइड ."हेड ऑफ़ मौस्से " या फोम स्वाद को ले उड़ता है सीधी ढालने पर शैम्पेन .

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