(गत पोस्ट से आगे ....)
एक बार दिल केदौरे की चपेट में आने के बाद मृत -प्राय हो चुकी बीटिंग मसल सेल्स तथा फाईब -रो -ब्लास्ट्स में दोबारा जान फूंकना इन्हें रिएक्ति -वैट करना मुमकिन नहीं रहता .इसीलिए तो दौरा पड़ने और चिकित्सा मयस्सर होने में हुआ विलम्ब बड़ी नुकसानी की वजह बनता है .टाइम इज गोल्ड हेयर ।
श्रीवास्तव साहिब नेनुक्सान ग्रस्त फाईब -रो -ब्लास्ट्स को रिप्रोग्रेम करने की तरकीब ढूंढ ली है जो इन्हें कार्डियो -मायो -साइट्स में तबदील करदेगी।
"दी सिस्टम इन्वोल्व्स स्लोली एडमिनिस -टारिंग थ्री सब्सटेंसिस -यूजिंग एन आर्टिफिशियल ट्यूब काल्ड ए स्टंट -इनटू दी ब्लड देट ट्रिगर्स दी कन्वर्सन ।"
माउस हार्ट में जब इन तीन घटकों को पहुंचाया गया ,फाईब -रो -ब्लास्ट्स कार्डियो -मायो -साइट्स सदृशय (जैसी )कोशाओं में तब्दील हो गए .इतना ही नहीं धडकते दिल के अंदर ही इनमे से २० फीसदने एक स्विच भी बना डाला .हो गई बस मरम्मत क्षति ग्रस्त अंग की ।
दूसरे अध्धय्यन में केलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के माहिरों ने एक उभय -चर(एम्फीबियन)न्युट्स पर नजर टिकाई .जल और थल दोनों को अपना हेबिटेट बनाने वाला यह प्राणीक्षति ग्रस्त टिश्यु कामुस्तैदी से पुनर -जनन (रिजेंरेशन )कर लेता है .
अन्य अध्धय्यनों की ध्वनी जुदा है .इनके अनुसार स्तनपाइयों को पुनर्जनन को त्यागना होगा .क्योंकि कैंसर के पीछे भी इसी का हाथ रहता है .स्तन- पाईयों (मेमल्स )में इसे मुल्तवी रखने में रेटिनो -ब्लास्तोमा या "आरबी तथा कथित "(ट्यूमर सप्रेसर जीन ) सहायक सिद्ध होती है .
चूहों में एक और जीन ''ए आर ऍफ़ "का भी पता चलाहै .जब चूहों में इन दोनों ही जीवन इकाइयों को माउस हार्ट मसल से बाहर कर दिया गया,ब्लोक कर दिया गया , इनमे पुनर्जनन फिर चल निकला ।
बस इस प्रक्रिया पर ही माहिरी हासिल करनी बाकी हैमाहिरों को .ताकि कोशायें बे -लगाम हो ट्यूमर की वजह ना बने .बेहद वंश वृद्धि ना करें .जर्नल" सेल स्टेम सेल" में यह रिपोर्ट प्रकाशित है .देखना बाकी है क्या यही रणनीति बाकी क्षति ग्रस्त अंगों की दुरुस्ती पर भी लागू हो सकती है ?
शनिवार, 7 अगस्त 2010
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1 टिप्पणी:
जानकारी का आभार !!
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