मेगा ब्लेक होल्स वर बोर्न सून आफ्टर बिग बैंग (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २७ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )।
साइंस दानों के मुताबिक सृष्टि के जन्म के साथ ही आदि-सुपर - मेसिव ब्लेक होल्स भी पैदा हो गए थे .दोनों का आदि -स्रोत भी वही बहु -श्रुत बिग बैंग था (जो अपने ना मालूम से कलेवर में सृष्टि का गोचर ,अगोचर ,पदार्थ ,ऊर्जा ,बल ,समय ,आकाश .सभी कुछ तो छिपाए हुए था .कृष्ण के विराट स्वरूप की तरह .साइंसदान इसे एक सिंग्युलारिती मानते समझते आये हैं .यानी एक परिकल्पनात्मक बिन्दुवत आकाश (पॉइंट )जिसमे समाहित गुरुत्वीय बल पदार्थ को बेहद संपीडित (कंप्रेस्ड )कर देता है ,आकाश और काल दोनों को एक दम से विकृत कर देता है ,इतना की दोनों का अस्तित्व ही चुक जाए ।).
लेकिन यदि सृष्टि विज्ञान के माहिरों का उक्त विचार (सुपर -मेसिव ब्लेक होल्स सृष्टि के जन्म के संग साथ ही पैदा हो गए थे )परवान चढ़ता है तब नीहारिकाओं के जन्म (बनने) के सिद्धांतों को भी नए सिरे से देखना समझना होगा .पुनर -विचार करना होगा प्रचलित धारणाओं पर ,जो नीहारिकाओं के उद्भव और विकाश से ताल्लुक रखतीं हैं ,उन सभी पर .
साधारण ब्लेक होल्स उन्हें कहा समझा जाता है जिनकेगुरुतर गुरुत्व की पकड़ से प्रकाश भी बाहर नहीं आ सकता है ,और जब कुछ लौट ही नहीं रहा है तो दृश्य जगत में आयेगा क्या ?लेकिन संदर्भित सुपर -मेसिव ब्लेक होल्स के बरक्स ऑर्डिनरीब्लेक होल्स को ड्वार्फ्स(सूक्ष्म या बौना ही कहा समझा जाता है )ही कहा जाता है ।
खगोल विज्ञानी अब कह रहें हैं ,हरेक नीहारिका के कोर में (क्रोड़ या आंतर -प्रदेश ,सेंटर में )एक ब्लेक होल मौजूद है ।
ताज़ारिसर्च पेपर स्टेंडर्ड थिओरी के सामने एक चुनौती प्रस्तुत करता है .इस मानक निदर्श (स्टेंडर्ड मोडिल )के मुताबिक़ नीहारिकाएं धीरे धीरे अपना विस्तार करतीं हैं .गुरुत्व बल आसपास से पदार्थ को खींचकर अपेक्षाकृत गुरुतर संरचनाएं ,गेलेक्तिक क्लस्टर रचता चला जाताहै अनथक ।
ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के माहिर अपने इस पर्चे में कहतें हैं ,ये सभी गुरुतर संरचनाये ,सुपर -मेसिव ब्लेक होल्स सृष्टि के जन्म के संग शीघ्र ही अस्तित्व में आगये थे (सृष्टि के इतिहासिक विकाश क्रम में ).
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