व्हाट इज फ्यूचर मेल ?/ओपन स्पेस /दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अगस्त २९ ,२०१० ,पृष्ठ २६ )।
डर था पत्र लेखन की कला कहीं खो ना जाए .बड़े गुमान से ई -मेलियों ने परम्परा गत चिठ्ठी पत्री को नाक भौं सिकोड़ कर "स्नेल मेल "कहा था .
तो ज़नाब मेल ,ई -मेल के बाद अब दौर चलेगा "ऍफ़ -मेल "का यानी फ्यूचर मेल का .इसमें आप खुद को भी आइन्दा किसी ख़ास दिन, तिथि,त्यौहार पर डिलीवर होने के लिए चिठ्ठी पत्री लिख सकतें हैं ।
भेजने वाला जब चाहेगा ठीक उसी घडी पल छिन प्राप्त करता को उसका ख़त मिलेगा .(पैच बस एक ही है इस दरमियान यदि वह व्यक्ति वहां से कूच कर ले ,पता ठिकाना बदल ले ,तब क्या होगा इस भावी -डाक का ?)।
पत्रों के अलावा आप खुद को भी खबरदार रख सकतें हैं भविष्य के किसी ख़ास दिन डिलीवर होने वाले रिमाइन्दर्स(ई -मेल या चिठ्ठी के ज़रिये ) की सहायता से .भूलने की आपकी आदत का यह समाधान हो सकता है । दोनों के अपने अपने दायरे और आयाम है जहां ई -मेल तात्कालिक सूचना प्रवाह ,सूचना संवाद का बेहतरीन ज़रिया है वहीँ इस भावी डाक को आप टाइम कर सकतें हैं ।
दूसरे की भावनाओं से जुड़ने का यह बेहतरीन ज़रिया बन सकती है .चीन में यह "फ्यूचर मेल "दिनानुदिन लोक प्रिय हो रही है जिसके ज़रिये आप उपहार ,बोके आदि कुछ भी ख़ास दिनों पर डिलीवर करवा सकतें हैं .भूलने का कोई चांस नहीं .
रविवार, 29 अगस्त 2010
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