आर्टिफिशियल कोर्नियाज़ रेस्टोर साईट (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २७ ,२०१० ,पृष्ठ २३ )।
साइंसदानों ने बीनाई (विज़न )की पुनर -प्राप्ति करवाने के लिए एक बायो -सिंथेटिक कोर्निया (जैव -कृत्रिम -स्वच्छ मंडल )का प्रदर्शन किया है .इतना ही नहीं इनका प्रत्यारोप मरीजों को कामयाबी पूर्वक लगाया भी गया है .इसके साथ ही आंशिक तौर पर अपनी बीनाई (वज़न ,नजर ,)गँवा चुके लोगों के जीवन में उजास की उम्मीद बंध चली है .इस एवज पहले तो प्रयोग शाला में मानवीय ऊतक उगाया गया फिर इसे कोंटेक्ट लेंस मोल्ड का स्तेमाल करते हुए वांच्छित आकृति में ढाला गया ।
अब आँख के अग्रांग से क्षतिग्रस्त तथा विक्षत ऊतक (स्कार्ड टिश्यु )को अलग करके उसका जैव -सिंथेटिक स्थानापन्न (रिप्लेसमेंट )यथा स्थान टांक दिया गया ।
आखिरकार कृत्रिम स्वच्छ मंडल के ऊपर अस्तित्वमान स्वस्थ कोशायें तथा ऊतकअसरग्रस्त आँख में उग आये और बीनाई लौट आई ।
कोर्निया ही आँख का बाहरी पारदर्शी रक्षक आवरण होता है .भूमंडलीय स्तर पर तकरीबन एक करोड़ लोग ऐसी बीमारियों से ग्रस्त रहतें हैं जो बीनाई ले उड़तें हैं .कानियल इन्जरीज़ के माम- ले अलग से होतें हैं ।
संदर्भित जैव -कृत्रिम स्वच्छ मंडल केआरंभिक शल्य परीक्षण कामयाब रहें हैं .लाइव टिश्यु इम्प्लांट की तरह ही यह कारगर रहें हैं .कुछ मामलों में मरीज़ की बीनाई पूरी तरह लौट आई है ।
लिंकोपिंग यूनिवर्सिटी स्वीडन के मय ग्रिफ्फिथ्स ने अध्ययन का नेत्रित्व किया है .संतोष की बात यह रही इस कृत्रिम स्वच्छ मंडल ने मानवीय नेत्र के साथ समेकित होकर कोशा और ऊतक पुनर -उत्पादन को भी प्रेरित किया .कितने ही लोग आदिनांक डोनर की तलाश में है .कोर्निया हैं कहाँ ?और फिर रोग -प्रति -रोधी तंत्र द्वारा उसे स्वीकृति भी दिलवानी पडती है .बहिष्करण प्रतिक्रया को मुल्तवी रखने के लिए इम्यून -सप्रेसर्स दवाओं का स्तेमाल करना पड़ता है .जिनके ह्यूमेन डोनर टिश्यु से तालमेल बिठाने के लिए अवांच्छित प्रभाव भी झेलने पडतें हैं .बायो -सिंथेटिक कोर्निया पर सब की निगाहें टिक गईं हैं .
शुक्रवार, 27 अगस्त 2010
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