व्हाट कौज़िज़ दी लेफ्ट एंड राईट रिवर्सल इन ए प्लेन मिरर ?
दरअसल समतल दर्पण (प्लेन मिरर )के सामने हम जितनी दूरी पर खड़े होतें हैं हमारा प्रतिबिम्ब ठीक उतना ही दूरी पर दर्पण के पीछे दिखलाई देता है .यह प्रतिबिम्ब हमारे आकार जितना ही होता है तथा सदैव ही सीधा और वर्च्युअल (काल्पनिक )ही बनता है ।
अब एक प्रयोग कीजिये .ड्रेसिंग टेबिल के सामने खड़े हो जाइए दर्पण से थोड़ा दूर हठ्के लेकिन ठीक दर्पण के सामने ताकि आपको अपनी छवि दिखलाई देती रहे .अब दर्पण की और धीरे धीरे बढिए .देखिये आपका प्रतिबिम्ब दर्पण से धीरे धीरे बाहर की ओर आ रहा है .यानी व्हाइल यु आर गो -इंग इनटू दी मिरर योर इमेज इज कमिंग आउट ऑफ़ दी मिरर .दिस कौज़िज़ दी लेफ्ट एंड राईट रिवर्सल .बाएं ओर दायें अंगों की परस्पर अदला बदली की यही वजह है .
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