मिटी मील :फस्ट केनिबल्स एट ईच अदर फॉर एक्स्ट्रा न्यूट्रीशन .इन दी ओल्डेस्ट नोन केस ऑफ़ केनिबलिज्म ,अदर फ़ूड वाज़ अवेलेबिल टू दी डाइनर्स बट ह्यूमेन फ्लेश वाज़ जस्ट पार्ट ऑफ़ देयर मीट मिक्स .(दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,अगस्त २८ ,२०१० ,पृष्ठ ).
एक नवीन अध्ययन से पता चला है के दुनिया भर में से ज्ञात पहले नर -भक्षी (मानव -भक्षी ,केनिबल्स )परस्पर एक दूसरे को अपनी पोषण सम्बन्धी संतुष्टि के लिए स्वाद वर्धक के रूप में खा जाते थे .मानव गोश्तमीट मिक्स का एक ज़रूरी हिसा था ।
ज़ाहिर है यह किसी रीति या चलन का,अनुष्ठान या कर्म काण्ड का अंग नहीं था .भूखों मरना भीमानव मांस खाने की वजह नहीं था .अन्य खाद्य इस आदिम नर भक्षी को मयस्सर थे .मानव मांस एक मीट मिक्स का हिस्सा भर था ।रोविरा और विर्गिली विश्विद्यालय के माहिरों ने उस दौर के खाद्य अवशेषों ,पाषाण से बने औजारों (लिथिक टूल्स )तथा इन "होमो -एंटी -सेसर्स से जुडी अन्य चीज़ों का विश्लेषण किया है .यह सभी सम्बद्ध चीज़ें एक गुफा के गिर्द मिलीं हैं .इस गुफा का नाम है "ग्रान डोलिना जो "स्पेन के "बुर्गोस" के निकट "'सिएर्रा दे अतपुएर्क " में मौजूद हैं ।
उस दौर के बूचड़ खाने की अपनी रवायत रही लगती है .मकसद रहा है मांस मज्जा प्राप्त करने का आदिम इरादा ,ख्वाहिश .पुष्टिकर तत्वों को अधिक से अधिक प्राप्त करना .भोज के बाद बचे खुचे मानव एवं मानवेतर अवशेषों को पाषाण से बने औजारों से काट पीटकर दबा दिया जाता था ,मलबे के रूप में ।
अन्य लघुतर पशुओं का संशाधन और स्तेमाल बी इसी बिध किया जाता था .स्वाद और पाक कला का,पोषण का हिस्सा था, मानव मांस -भक्षण .मीट मिक्स .अध्ययन से यही ध्वनी निकलती है .
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1 टिप्पणी:
कुछ नयी जानकारी है न..........
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