व्हीट जीनोम ,कैन हेल्प बीट फ़ूड क्राइसिस (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,अगस्त २८ ,२०१० ,पृष्ठ ,२१ ).
ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी के साइंसदानों ने गेंहूं की पूरी आनुवंशिक कूट भाषा बूझ लेने ,जीनोम का पूरा खाका तैयार कर लेने का दावा किया है .समझा जाता है इस अन्वेषण से एक ओर खाद्य पदार्थों की बढती कीमत पर लगाम लगेगी दूसरी तरफ प्रति -एकड़ अधिक उपज और रोग ,आघात और जलवायु -परिवर्तन आदि से संभलने में समर्थ गेहूं की अभिनव किस्में तैयार करने का रास्ता साफ़ हो जाएगा .
आये दिन जलवायु परिवर्तन को लेकर प्रोजेक्शन्स आतें हैं यदि भूमंडलीय तापमान इतना बढ़ गया तो गेहूं की उपज इतनी कम हो जायेगी और उतना बढ़ गया तो फलां फसल चौपट हो जायेगी ।
भूमंडलीय स्तर पर ५५ करोड़ टन से भी ज्यादा गेंहू पैदा होता है .आनुवंशिक तौर पर गेंहू की नै किस्म तैयार करने वाले माहिरों के हाथ में अब ९५ फीसद सभी जीवन इकाइयां गेंहू की उपलब्ध हो जायेंगी ।
जलवायु परिवर्तन का ख़तरा लगातार गेंहू उत्पादन को मुह चिढा रहा है ,दूसरी तरफ बढती आबादी भूख और बर्बादी की ओर कितनो को ले जा रही है इसका कोई निश्चय नहीं ।
रूसी सूखे के बाद अगस्त माह लगते ही गेहूं के दाम गत दो सालों में शिखर को छू रहें हैं .कई और मुल्क गेंहू उत्पादन की समस्याओं से जूझ रहें हैं ।
अब तक यही समझा जाता था गेंहू के जीनोम (एक कोशिका में मौजूद तमाम जीवन इकाइयों ,गुण सूत्रों पर उनके सटीक स्थान को बूझना )नामुमकिन है .आखिर इसमें १७ अरब बेस -पेयर्स हैं उन रसायनों के जो आनुवंशिक पदार्थ डी एन ए का निर्माण करतें हैं .यह मानवीय जीनोम से पांच गुना ज्यादाबड़ा है .इस कूट भाषा को अक्षर दर अक्षर पढना कोई आसान काम ना था .बेशक अभी और काम बाकी है .ताकि जीनोम की फिनिश्ड कोपी तैयार हो सके .गुण सूत्र दर गुण सूत्रकौन सा जीवन खंड कहाँ है इसका सही इल्म हो सके .
शनिवार, 28 अगस्त 2010
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