व्हाट इज कोस्मिक माइक्रो -वेव ?
बतलादें आपको यह सृष्टि के निर्माण के बादका बचा खुचा अंश है जो उस विधाई क्षण के बाद से निरंतर फैलता विस्तार पाता रहा है ,जिसे महा -विष्फोट (बिग बैंग )कहा जाता है .इस पृष्ठ भूमि विकिरण का तापमान कम होते होते तकरीबन तीन केल्विन (वास्तव में २.७ ) ही रह गया है .
आइये विस्तार से देखतें हैं "कोस्मिक माइक्रो -वेव्स" क्या हैं ?
सृष्टि के बाद के पल में सब कुछ बेहद सघन (डेंस )था .उत्तप्त था .इसलिए वाईट हीट बिखरी हुई थी .उस समय जो भी जैसा भी एट्मोस -फीयर था वह वाईट हॉट ग्लो (बेहद की आभा )से प्रदीप्त था ।
युग युगान्तरों में जैसे जैसे सृष्टिफैलती गई , ठंडीभी होती गई.आदिनांक यह सिलसिला ज़ारी है .लेकिन अब तापमान इस विकिरण का परम शून्य से कुछ केल्विन ही ऊपर है .अलबता ठंडक ज़ारी है ।
सृष्टि के सूदूरआदिम छोर से जब प्रकाश (दृश्य प्रकाश )पृथ्वी पर पहुंचा सृष्टि आलोकित हुई .वह आभा दिखलाई दी ।
अलबत्ता क्योंकि सृष्टि का विस्तार ज़ारी है और इसीलिए दृश्य तरंग (तरंगों की आवृत्ति यानी फ्रीक्युवेंसी )माइक्रो -वेव फ्रीक्युवेंसी में तब्दील हो रही है ।
ऐसा परस्पर प्रेक्षक और सृष्टि के विस्तार शील प्रेक्षित भाग में सापेक्षिक गति की वजह से हो रहा है .जो सितारे ,नीहारिकाएं किसी प्रेक्षक से जितना ज्यादा वेग से पलायन कर रहीं हैं उनके स्पेक्ट्रम की रेखाएं लाल रंग की ओर खिसकती जा रहीं हैं .इसके आगे की सीमा माइक्रो वेव है .यानी लाल तरंग से परे सूक्ष्म तरंग हैं .यह वही तरंगें हैं जो सृष्टि के जन्म के फ़ौरन बाद अस्तित्व में आगें थीं .बिग बैंग का अवशेष हैं यह सूक्ष्म तरंगें .
रविवार, 29 अगस्त 2010
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2 टिप्पणियां:
हे ! फहुत आछा लिखा है आफने !
bahoot khoob bahoot achha
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